एग्जिट पोल: चुनाव पूर्व लिखी गई एक स्क्रिप्ट जैसे क्यों लगते हैं ?

एग्जिट पोल: चुनाव पूर्व लिखी गई एक स्क्रिप्ट जैसे क्यों लगते हैं ?

नई दिल्ली(राजा ज़ैद)। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर सोमवार को आये एग्जिट पोल को लेकर अलग अलग दलों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आयी हैं। ये एग्जिट पोल बीजेपी को छोड़कर शेष सभी दलों के गले नहीं उतर रहे।

पिछले 8 सालो में चुनाव को लेकर मीडिया मे एक बड़ा परिवर्तन आया है। मीडिया सरकार की खामियों की आलोचना करने की जगह तारीफ़ करता है। सरकार और सत्तारूढ़ दल से जुडी ख़बरों में मीडिया अपनी तरफ से कई बातें जोड़ देता है जिनका कोई सिर पेर नहीं होता और वे बातें बाद में झूठी साबित होती हैं। नोटबंदी के बाद आये नए दो हज़ार के नोट को लेकर दो चैनलों ने जो मनगढ़ंत कहानी जोड़ी थी वह किसी से छिपी नहीं हैं।

अब अनुमान लगाइये कि दो हज़ार के नोट को लेकर सरकार की तारीफ़ करने के लिए मीडिया ने अपनी रिपोर्टिंग में कितना फ़र्ज़ी मसाला डाला था तो चुनाव में एग्जिट पोल में कितना फ़र्ज़ी मसाला मिलाया जाता होगा तब कहीं जाकर ये एग्जिट पोल तैयार होते होंगे।

एक अहम बात यह भी है कि जिन सैंपल डाटा को आधार बनाकर एग्जिट पोल तैयार किये जाते हैं उसका आकार बहुत छोटा होता है। 182 विधानसभाओं का अनुमान दस-बीस हज़ार के सैंपल डाटा से कैसे लगाया जा सकता। दूसरी बात एग्जिट पोल तैयार करने वाली कंपनियां कभी दूर दराज के गांवो तक नहीं पहुंचती। इसलिए किसी भी विधानसभा सीट का सटीक अनुमान लगाए जाना संभव नहीं है।

यही कारण भी है कि कई बार एग्जिट पोल सच साबित हो जाते हैं तो कई बार मुंह के बल भी गिरते हैं। खासकर 2014 के चुनाव और उसके बाद के चुनावो की बात करें तो एग्जिट पोल एक चुनाव पूर्व तैयार की गई स्क्रिप्ट जैसे लगते हैं।

हमने पिछले कई चुनावो में यह भी देखा है कि चुनाव के दौरान बीजेपी के शीर्ष नेता जितनी सीटें आने के दावे करते हैं, एग्जिट पोल में भी उन्ही ही सीटें बताई जाती हैं। यह बेशक संदेह पैदा करने वाला है लेकिन संदेह का कोई आधार भी नहीं है।

कुल मिलाकर यह तो तय होना चाहिए कि आखिर एग्जिट पोल का आधार क्या है। चुनाव आयोग, सुप्रीमकोर्ट या किसी संवैधानिक संस्था को यह ज़िम्मेदारी दी जानी चाहिए कि वह सभी चैनलों पर एग्जिट पोल दिखाए जाने से पहले उनका सैंपल डाटा चैक करे। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाये और एग्जिट पोल की सच्चाई से पर्दा उठ जाए।

एग्जिट पोल पर किसने क्या कहा:

आज गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव को लेकर मीडिया में आये एग्जिट पोल को आम आदमी पार्टी ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है। आम आदमी पार्टी के गुजरात के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी ने कहा कि एक्जिट पोल के आंकड़े सही नहीं होते क्योंकि आकलन करना बहुत मुश्किल है। 2013 में भी जब AAP दिल्ली में लड़ रही थी तब भी सब यही कह रहे थे कि यह अपनी ज़मानत भी बचा लें तो बहुत बड़ी बात होगी लेकिन हमने 28 सीटें जीतीं थीं।

उन्होंने कहा कि इसलिए मैं मान रहा हूं कि एक्जिट पोल से अधिक AAP का नतीजा आएगा और भारतीय जनता पार्टी गुजरात में सरकार नहीं बना रही है… हमारा आंकलन है कि हम 100 से ज़्यादा सीटें जीतेंगे।

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने एग्जिट पोल को सही बताते हुए कहा कि BJP और गुजरात के लोगों ने नया इतिहास लिखना तय किया है। पिछले 27 सालों से चल रहा ये संबंध आने वाले दिनों में और बेहतरीन होने जा रहा है। ये चुनाव सत्ता की जीत के लिए नहीं बल्कि संबंधों के इतिहास के लिए है। गुजरात में कमल खिलेगा।

एग्जिट पोल पर हिमाचल प्रदेश CM जयराम ठाकुर ने कहा कि गुजरात एक तरफा चुनाव है। वहां दूसरी पार्टियां काफी पीछे हैं। कांग्रेस बहुत नीचे आएगी और आम आदमी पार्टी अपने कुछ वोट लेगी, मगर उसके बाद भी दोनों पार्टियां बहुत पीछे रह जाएंगी। वहां भाजपा की ऐतिहासिक जीत होने वाली है।

उन्होंने कहा कि अधिकांश एक्जिट पोल में यह देखने को मिल रहा है कि हिमाचल में भाजपा सरकार बनाने जा रही है। 1-2 जगह ऐसी हैं जहां कांटे की टक्कर दिखाई जा रही है, तो मुझे लगता है कि हमें 8 तारीख तक इंतजार करना चाहिए जब तक नतीजे नहीं आ जाते हैं।

वहीँ हिमाचल प्रदेश के चुनाव को लेकर कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने ट्वीट कर दावा किया है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को कम से कम 40 सीटें मिलेंगी। वहीँ गुजरात के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता डा अजय उपाध्याय ने कहा है कि “एग्जिट नहीं एक्जेक्ट पोल हमारे पक्ष में होगा।”

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