फिर एक मंच पर आ सकते हैं सपा-कांग्रेस, साथ में होंगे ये दल

फिर एक मंच पर आ सकते हैं सपा-कांग्रेस, साथ में होंगे ये दल

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी दलों ने अभी से अपनी अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। हाल ही में सूबे में हुए 7 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में बीजेपी द्वारा 6 सीटें जीते जाने के बाद गैर बीजेपी दलों को उस रणनीति की तलाश है, जिससे बीजेपी को अगले चुनाव में धराशाही किया जा सके।

ऐसे में विपक्ष के पास एकजुट होकर मुकाबला करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। हालांकि इस बार यदि विपक्ष का कोई गठजोड़ बनता है तो विपक्षी दल उस गठबंधन में बसपा को शामिल करने गलती नहीं करने के पक्ष में दिख रहे हैं।

सूत्रों की माने तो पिछले 06 महीने के अंदर कुछ इलाको में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा है इसलिए समाजवादी पार्टी कांग्रेस को इग्नोर कर किसी गठबंधन करने का रिस्क नहीं लेना चाहती। सूत्रों ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेताओं का मानना है कि बीजेपी को तभी हराया जा सकता है जब सेकुलर वोटों का विभाजन न हो। इसलिए वे सभी गैर बीजेपी दल गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं जो कुछ सीटों पर बीजेपी को सीधी टक्कर में हरा पाएं।

सूत्रों ने कहा कि समाजवादी पार्टी के अंदर 2022 के चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि दलित, मुस्लिम, पिछड़ावर्ग के मतदाताओं को एक सूत्र में पिरोकर ही बीजेपी को हराया जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि समाजवादी पार्टी के अंदर एक बार फिर शिवपाल की घर वापसी की चर्चाएं जोरो पर हैं और शिवपाल से बातचीत शुरू हो चुकी हैं कि समाजवादी पार्टी में उनकी वापसी किस आधार पर कराई जाए। सूत्रों ने कहा कि कभी भी शिवपाल की सपा में वापसी हो सकती है।

वहीँ दूसरी तरफ यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के अलावा भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद की नई पार्टी आज़ाद समाज पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी, अपना दल, जैसे दलों को भी गठजोड़ में शामिल किया जाए।

सूत्रों ने कहा कि फ़िलहाल बातचीत बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाने की चल रही है जिसका चेहरा अखिलेश यादव होंगे। सूत्रों ने कहा कि गठबंधन के चेहरे को लेकर फिलहाल कोई विरोध नहीं हैं क्यों कि हाल ही में बिहार में हुए चुनाव में कांग्रेस ने राजद नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने में जताकर यह संदेश दे दिया है।

सूत्रों की माने तो कांग्रेस, सपा,रालोद और सुहेलदेव समाज पार्टी फिलहाल एक मंच पर आने को तैयार हो चुके हैं। वहीँ आज़ाद समाज पार्टी से अभी बातचीत होना बाकी है। सूत्रों ने कहा कि गठबंधन पर अंतिम बात होने के बाद जल्द ही प्रदेश की राजनीति की तस्वीर बदल सकती है।

सूत्रों ने कहा कि यदि इस तरह का गठबंधन सम्भव हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सेकुलर वोटों के विभाजन से बीजेपी को चुनाव में मिलने वाले फायदे पर ब्रेक लग सकते हैं।

हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी कोई भी पार्टी कुछ भी कहने से बच रही है लेकिन सच्चाई यही है कि 2022 के लिए विपक्ष के गठजोड़ की बुनियाद पड़ चुकी है और इस बुनियाद पर गठबंधन की इमारत खड़ी होना बाकी है।

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