नयी दिल्ली : पर्यावरण के संरक्षण में सतत विकास महत्वपूर्ण घटक : न्यायालय
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम को यह देखते हुए चालू मुंबई तटीय सड़क परियोजना में आंशिक विकास कार्य शुरू करने की अनुमति दी है कि पर्यावरण की सुरक्षा में सतत विकास एक महत्वपूर्ण घटक है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने अपने 2019 के आदेश को संशोधित किया और नगर निकाय को उद्यान, खुला हरित स्थान और पार्क, एक साइकिल पथ और जॉगिंग पथ बनाने, समुद्र के किनारे सैरगाह और मनोरंजन स्थलों का निर्माण करने की अनुमति दी।
पीठ ने कहा, “जब तक इस चरण में काम की अनुमति नहीं दी जाती है, सड़क के पूरे हो चुके बड़े हिस्से को भूमिगत कार पार्किंग के लिए खोलना होगा। यह सुविधा जनहित में है।”
न्यायालय ने कहा, “निस्संदेह, पर्यावरण की सुरक्षा में सतत विकास एक महत्वपूर्ण घटक है। इस स्तर पर, प्रथम दृष्टया, भीड़भाड़ वाले महानगर की मुख्य सड़कों पर भीड़ कम करने के प्रयास को बाधित नहीं किया जा सकता है।”
शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा कि तटीय नियामक क्षेत्र (सीआरजेड) की मंजूरी के तहत लगाई गई शर्तों का पूर्ण ईमानदारी से अनुपालन होना चाहिए जिनमें मछुआरा समुदाय का पुनर्वास भी शामिल है।
न्यायालय ने नगर निकाय को एक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया कि नगर निगम 11 मई, 2017 की सीआरजेड मंजूरी में निर्धारित सभी शर्तों का, 18 मई, 2021 को किए गए संशोधन समेत, सख्ती से पालन करेगा।
पीठ ने कहा, “पुनर्प्राप्त भूमि का उपयोग वर्तमान में या भविष्य में किसी भी समय किसी आवासीय या वाणिज्यिक विकास/उद्देश्यों के लिए, नहीं किया जाना चाहिए। इस न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना तटीय सड़क परियोजना के प्रयोजनों के लिए आगे कोई भूमि पुनः प्राप्त नहीं की जानी चाहिए।”
शीर्ष अदालत ने कहा, “यदि परियोजना के मापदंडों में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है तो इस अदालत को अग्रिम रूप से उस बारे में अवगत कराया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता आदेश की तारीख से तीन महीने की अवधि के अंदर अपेक्षित योजना दाखिल करेगा।”
उच्चतम न्यायालय 17 दिसंबर, 2019 के अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए ग्रेटर मुंबई नगर निगम द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जिससे उसे तटीय सड़क परियोजना से संबंधित कुछ कार्य करने की अनुमति मिल सके।
न्यायालय ने नगर निगम को पूर्व में अगले आदेश तक किसी भी तरह की विकास गतिविधि को अंजाम न देने को कहा था।
करीब 12,000 करोड़ रुपये मूल्य की यह तटीय सड़क परियोजना मरीन ड्राइव से वरली तक है।