मथुरा कोर्ट ने दो जनवरी से शाही ईदगाह का सर्वे करने का आदेश दिया

मथुरा कोर्ट ने दो जनवरी से शाही ईदगाह का सर्वे करने का आदेश दिया

मथुरा। मथुरा की एक जिला अदालत ने शनिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को 2 जनवरी से शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश जारी किया है। अदालत ने यह आदेश हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता द्वारा दायर एक मुकदमे पर पारित किया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शैलेश दुबे ने बताया कि न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। हमने मौके पर सर्वे रिपोर्ट लिखने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है जिससे कि किसी भी प्रकार का कोई अन्य निर्माण होता है तो उसकी जानकारी न्यायालय में प्रस्तुत हो सके। इसमें सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 जनवरी तय की गई है।

उन्होंने कहा कि ठाकुर जी की 5,000 साल पुरानी जगह थी जिसमें अवैध रूप से शाही ईदगाह का निर्माण कराया गया। इसमें 1967 में भी मुकदमा दाखिल हुआ था जिसमें एक सोसाइटी का गठन किया गया था,उनके द्वारा समझौता किया गया जो अवैध था। हमने इसे निरस्त किए जाने की मांग की।

याचिकाकर्ताओं ने अपने मुकदमे में तर्क दिया कि भगवान कृष्ण के भक्त के रूप में उन्हें अदालत जाने का अधिकार है। उनका कहना है कि उन्हें कृष्ण के वास्तविक जन्मस्थान पर पूजा करने का अधिकार है।

19 फरवरी, 2021 को “भगवान श्री कृष्ण विराजमान और अन्य बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य” शीर्षक से सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा की अदालत में ईदगाह मस्जिद को अवैध रूप से बनाये जाने का आरोप लगाते हुए अतिक्रमण और ढांचे को हटाने के लिए एक सिविल सूट दायर किया गया था।

बता दें कि इस मामले में मथुरा की दीवानी अदालत ने पहले यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया था कि इसे 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत स्वीकार नहीं किया जा सकता है, जो 15 अगस्त, 1947 को किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को बनाए रखता है।

इस कानून से सिर्फ अयोध्या मंदिर-मस्जिद मामला बाहर रखा गया था, जिसमें 16वीं शताब्दी की बाबरी मस्जिद शामिल थी, जिसे 1992 में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़ दिया गया था, जिनका मानना ​​था कि यह एक प्राचीन मंदिर के खंडहरों पर बनाया गया था।

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