गहराई से: 2024 में बीजेपी को 50 सीटों पर कैसे समेट देंगे नीतीश

गहराई से: 2024 में बीजेपी को 50 सीटों पर कैसे समेट देंगे नीतीश

नई दिल्ली (राजा ज़ैद)। शनिवार को बिहार जनता दल यूनाइटेड की कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बड़ा दावा किया। नीतीश कुमार ने कहा कि हम 2024 के चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करेंगे और बीजेपी को 50 सीटों पर समेट देंगे।

नीतीश कुमार के दावे पर दो सवाल खड़े होते हैं। पहला बड़ा सवाल यही है कि क्या 2024 में विपक्ष एकजुट हो पायेगा। क्यों कि 2019 में भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की गई थी लेकिन यह संभव नहीं हुआ। इसका अहम कारण राज्यों में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे विपक्षी दल हैं।

पश्चिम बंगाल में क्या ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस अपने धुर विरोधी वामपंथी दलों के साथ खड़ी हो पाएंगी ? ऐसा ही सवाल उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों के समक्ष भी है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस के साथ आने पर पहले से ही सवालिया निशान हैं।

वहीँ केरल में कांग्रेस और सत्तारूढ़ वामपंथियों के साथ आने पर संशय है। ओडिशा में बीजू जनता दल और कांग्रेस के बीच 36 का आंकड़ा है। ऐसे में नीतीश कुमार जिस विपक्षी एकता का सपना देख रहे हैं क्या वो हकीकत में बदल पायेगा ?

विपक्षी एकता के बीच दूसरा बड़ा रोड़ा पीएम पद के चेहरे को लेकर है। अगर यह मान भी लिया जाए कि विपक्षी दल इस बात पर सहमत हो जायेंगे कि जिस दल की ज़्यादा सीटें आएंगी उसी दल का पीएम बनेगा तो सीटों का बंटवारा अड़चने पैदा करने वाला है।

सीटों के बंटवारे में सभी दल अधिक से अधिक सीटें मांगेंगे। ऐसे में सभी दलों को संतुष्ट करना संभव नहीं है। इसलिए विपक्षी एकता की कहानी एक बार फिर पूरी तरह काल्पनिक साबित हो सकती है।

कांग्रेस को गठबंधन में लाये बिना संभव नहीं विपक्षी एकता:

अगर यह मान लिया जाए कि नीतीश कुमार 2024 के लिए बनने वाले विपक्षी गठजोड़ को कांग्रेस के बिना देख रहे हैं तो यह भी जानना ज़रूरी है कि कांग्रेस के बिना विपक्षी दलों का गठबंधन संभव नहीं है। देश के करीब एक दर्जन राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस और बीजेपी या उसके सहयोगी दल का सीधा मुकाबला रहता है। ऐसे में इन राज्यों में कांग्रेस को बाहर रखकर विपक्षी गठबंधन का चुनाव लड़ना सीधे सीधे बीजेपी को फायदा देना है।

विपक्षी एकता को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार भी पहले प्रयास कर चुके हैं। शरद पवार खुले मंच से कह चुके हैं कि कांग्रेस को बाहर रखकर विपक्ष का कोई गठबंधन संभव नहीं है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी चंद्रशेखर राव आज बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की बात करते हैं लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि अलग तेलंगाना राज्य बनने के बाद केसीआर ने कांग्रेस का साथ स्वीकार नहीं किया था जबकि उस समय अलग राज्य की मांग कर रही तेलंगाना राष्ट्र समिति को कांग्रेस ने ही सहारा दिया था और अलग तेलंगाना राज्य कांग्रेस के शासनकाल में ही बना था।

इन राज्यो में संभव है विपक्ष का तालमेल:

हालांकि यह माना जा सकता है कि जिन राज्यों में पहले से गठबंधन सरकारें चल चुकी हैं। वहां विपक्षी दलों की एकजुटता संभव है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, असम और पूर्वोत्तर के कुछ राज्य ऐसे हैं जहां विपक्षी एकता बन सकती है लेकिन सवाल यह भी है कि 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में यदि विपक्ष एकजुट नहीं होता तो नीतीश कुमार जिन 50 सीटों पर बीजेपी को समेटने की बात कर रहे हैं उतनी सीटें तो बीजेपी उत्तर प्रदेश से ही हासिल कर लेगी। इसके अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा ऐसे राज्य हैं जहां से बीजेपी लोकसभा चुनाव में सत्ता की बुनियाद को मजबूत करती रही है।

देश में केंद्र सरकार के खिलाफ मुद्दों की कमी नहीं है। ये हाल ही में हुए राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामो का आंकलन किया जाए तो साफ़ पता चलता है कि केंद्र और राज्यों में बीजेपी की सरकार के खिलाफ मजबूत मुद्दे होने के बाद भी बीजेपी सत्त्ता में बने रहने में सफल रही है।

हालांकि सीएम नीतीश कुमार के इस दावे में पूरी सच्चाई है कि बीजेपी विपक्ष के विखराव का फायदा लेती रही है लेकिन यह सवाल भी जस का तस बना हुआ है कि सब कुछ जानते हुए भी क्या 2024 में विपक्ष एकजुट हो पायेगा ?

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