गहराई से: गुजरात चुनाव में बीजेपी को नहीं मिल रहा मुद्दा तो बाटला हॉउस की हुई एंट्री
नई दिल्ली (राजा ज़ैद)। गुजरात के विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस बेहद सधी हुई रणनीति से आगे बढ़ रही है। यही कारण है कि पिछले चुनाव की तरह इस बार बीजेपी के पास कांग्रेस के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा नहीं है।
पिछले चुनाव में पीएम मोदी सहित बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने कपनी चुनाव में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के बयान को चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया था। लेकिन इस बार चुनाव में कांग्रेस पहले से ही सतर्क नज़र आ रही है। कांग्रेस नेता अपनी चुनावी सभाओं और प्रेस कांफ्रेंस में सिर्फ मुद्दों पर आधारित बयान ही दे रहे हैं।
चुनाव प्रचार की शुरुआत में बीजेपी की तरफ से पाकिस्तान की एंट्री कराये जाने की कोशिश अवश्य हुई। एक बीजेपी उम्मीदवार का अपनी सभा में यह कहते हुए एक वीडियो प्रकाश में आया था कि यदि बीजेपी हारेगी तो पाकिस्तान खुश होगा और हमे पाकिस्तान को खुश नहीं होने देना। लेकिन चुनाव प्रचार में बीजेपी की तरफ से पाकिस्तान की एंट्री की रस्म अदायगी अब पुराना हथियार हो चुका है। इसलिए जनता ने इसमें ज़्यादा रूचि भी नहीं दिखाई।
पाकिस्तान के मुद्दे पर जनता की रूचि न देख अब बीजेपी ने बाटला हॉउस और आतंकवाद को एक बार फिर चुनाव प्रचार में प्रवेश कराया है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को सूरत में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “गुजरात की नई पीढ़ी ने अहमदाबाद और सूरत के सीरियल बम ब्लास्ट नहीं देखे हैं। मैं उन्हें उन लोगों से सावधान करना चाहता हूं जो आतंकवादियों के शुभचिंतक हैं। बाटला हाउस एनकाउंटर आतंकवाद का कृत्य था लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इस पर सवाल उठाया था।”
इतना ही नहीं पीएम मोदी ने यह भी कहा कि “ये बीजेपी की ही सरकार है जो सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक का फैसला ले सकती है। हम आतंकियों को भी नहीं छोड़ते और आतंक के आकाओं को भी घर में घुसकर मारते हैं।” लेकिन पीएम मोदी ने यह नहीं बताया कि 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के विमान आतंकवादियों द्वारा हाईजैक किये जाने के बाद अपह्त लोगों की रिहाई के बदले उन्ही की पार्टी की सरकार ने तीन आतंकवादियों को हवाई जहाज में बैठाकर कंधार छोड़ा था। उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
गुजरात में पहले चरण के चुनाव के लिए 29 नवंबर को चुनाव प्रचार थम जायेगा। ऐसे में अभी दो दिनों का समय बाकी है और जानकारों की माने तो चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिन बीजेपी पूरे चुनाव को आतंकवाद को कांग्रेस से जोड़ने की कोशिश करेगी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस बाटला हॉउस काण्ड का ज़िक्र रविवार को सूरत की सभा में किया वह 19 सितंबर 2008 का है। यानि 14 साल बाद भी बीजेपी को उम्मीद है कि वह बाटला हॉउस कांड को चुनाव में भुना सकती है।
क्या कारण है कि बीजेपी अपने प्रचार में अक्षरधाम मंदिर हमले का ज़िक्र नहीं करती? जिसमे कई श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। जबकि अक्षरधाम की घटना गुजरात से जुडी है।
दरअसल, पिछले दो दशकों से अधिक समय से गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी के पास अब मतदाताओं को बताने के लिए कुछ भी नहीं है। मंहगाई और बेरोज़गारी का हाल जनता से छिपा नहीं है। बीजेपी के चाणक्य भी इस बात को भलीभांति समझते हैं कि केवल हिंदुत्व समर्थक और मुस्लिम विरोधी छवि से बीजेपी हर मतदाता को नहीं लुभा सकती।
बीजेपी शासन काल में दलितों और आदिवासियों के साथ हुई घटनाओं के ज़ख्म खोखले हिंदुत्व के मरहम से नहीं भरे जा सकते। ऐसे में बीजेपी के पास चुनाव जीतने के लिए एकमात्र सहारा राष्ट्रवाद का ही शेष रहता है। इसलिए यह मानकर चलिए कि चुनाव प्रचार में अभी बालाकोट की एंट्री भी हो सकती है।