23 पंचायतों के बच्चों की सेहत का ख्याल रख रहा गायघाट अस्पताल

23 पंचायतों के बच्चों की सेहत का ख्याल रख रहा गायघाट अस्पताल

मुजफ्फरपुर(फ़ौजिया रहमान खान)। चमकी बुखार पर अंकुश लगाने की मुहिम में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का बड़ा योगदान है। यद्यपि एईएस की चपेट में आये बच्चों को तुरंत इलाज और रेफर करने की आकस्मिक सुविधाओं की जरूरत होती है। ऐसे मामलों में पीएचसी गांव-कस्बों के लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं। इसमें एक नाम गायघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भी है।

यहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ योगेश नारायण ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंदर 1 एईएस वार्ड बनाया गया है, जिसमें हर तरह की दवाएं, चिकित्सकीय स्टाफ और मशीनें मौजूद हैं। चमकी बुखार के लक्षण वाले बच्चों को बेसिक ट्रीटमेंट के बाद हमलोग एंबुलेंस भी इमरजेंसी उपकरणों के साथ लैस कर तैयार रखते हैं, ताकि वक्त जरूरत उसका उपयोग किया जा सके।

यही कारण है कि इस साल 6 बच्चे चमकी के लक्षण वाले पीएचसी पर आए थे, जिनको बेसिक ट्रीटमेंट के बाद कन्फर्मेशन के लिए मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच भेज दिया गया। वहां केवल 3 बच्चों के चमकी बुखार से प्रभावित होने की पुष्टि हुई। आज की तारीख में सब के सब स्वस्थ होकर अपने अपने घर जा चुके हैं।

पोषण, जागरूकता और तत्परता पर है पूरा बल :

गायघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मोहम्मद उबैद ने बताया कि उनके कार्य क्षेत्र में 23 पंचायत हैं, जिनमें लगभग 3,50000 लोगों की सेवा में केंद्र लगा हुआ है। उन्होंने बताया चमकी बुखार को रोकने के लिए कई स्तरों पर काम किए जा रहे हैं।

जहां एक ओर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गायघाट अपने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ योगेश नारायण की देखरेख में सारी सुविधाओं को चुस्त-दुरुस्त करने में लगा है। वहीं दूसरी ओर दूसरे विभागों के एचओडी को भी अपने साथ जोड़ रहा है। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इस साल 7 कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर न्यूट्रिशन सेंटर भेजा गया।

दूसरी ओर जागरूकता फैलाने के लिए कई स्तर पर काम किया गया है। जैसे-वाल लेखन अर्थात आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों, सरकारी भवनों और अन्य सार्वजनिक जगहों की दीवारों पर लिखवा कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास जारी है। जो लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, उन्हें आशा द्वारा पढ़कर सुनाया जाता है, ताकि वह सावधान रहें और चमकी के लक्षणों को पहचान कर तुरंत एंबुलेंस या आशा को फोन करें।

 

चौपाल का आयोजन कर फैलाई जा रही जागरूकता :

हर हफ्ते शनिवार को उन क्षेत्रों में जहां चमकी होने की संभावना अधिक है, वहां लोगों को इकट्ठा करके चौपाल का आयोजन किया जाता है। इसमें डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, विकास मित्र के अलावा समाजसेवी, गणमान्य व्यक्ति अथवा पंचायत मेंबरों को शामिल किया जाता है, ताकि इनकी बातों से लोगों पर अधिक असर पड़े और लोग जागरुक होकर अपने बच्चों को काल के गाल में समाने से बचा सकें।

स्वास्थ्य विभाग और सरकारी डॉक्टर दिन-रात पूरी तरह से यह कोशिश कर रहे हैं कि इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंका जाए और किसी घर के चिराग को बुझने न दिया जाए।

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TeamDigital