देश के मौजूदा हालातो पर फरहा ग़नी का लेख “चुप्पी तोड़कर न बोला जाए तो अन्याय होगा”
ब्यूरो(फीचर डेस्क)। आज जो हालात बनते जा रहे हैं, उनको नज़र में रखकर बोलना अब बेहद ज़रूरी हो गया हैं। चुप्पी तोड़कर न बोला जाए तो अन्याय होगा।
अस्पतालों से लगातार आ रही लीक वीडियोज को देखकर पता चलता है कि एक तरफ़ डॉक्टरों पर लोगो का गुस्सा फूट रहा है, वही दूसरी तरफ़ लोगो मे अस्पतालों का डर बैठ गया हैं कि यदि एक बार अस्पताल पहुंच गए तो वापस आएंगे भी या नहीं?
लोगों के दिलो में बैठ चूके डर को दूर करने के लिए मेरी तरफ से सरकार को एक सुझाव हैं कि जिस वार्ड में कोरोना संक्रमित मरीज़ को रखा जाये, उस वार्ड में सीसी-टीवी कैमरा लगाया जाये। जहां उनका इलाज व उनकी मृत्यु होती हैं, उस वार्ड से लेकर बाहर तक आने तक के रास्ते मे सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना चाहिये और उस सीसीटीवी का लाइव प्रसारण रिसेप्शन पर लगे टीवी पर होना चाहिये। जिससे की मरीजों के परिजन पर मरीज़ पर नज़र रख सके जो कि उनका अधिकार हैं।
जैसा कि कई वीडियो में देखने में आया है कि कोरोना के इलाज को लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा हैं। कोरोना संक्रमित लोगों की मौत उनके घरो पर नहीं हो रही हैं बल्कि अस्पतालों में हो रही हैं, जहां कि पीड़ित व्यक्ति के लिए इलाज के संसाधन उपलब्ध हैं।
कभी सुना हैं कि कोरोना से किसी भी व्यक्ति की मौत घर या रॉड पर तड़पते हुए हुई हो। यहां अहम सवाल यही है कि कोरोना संक्रमित लोग इलाज के दौरान अस्पताल में क्यों मर रहे हैं? खासकर ग़रीब या मध्यम वर्ग के लोगों की अस्पताल में मौतें क्यों हो रही हैं?
दूसरा सवाल यह भी है कि आखिर क्यों जलसों, रैलियों में शामिल हुए लाखो लोग संक्रमित नहीं हो रहे लेकिन इन सब से दूर लोगों में कोरोना संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है?
सवाल यह भी है कि आखिर कैसे बड़े पदों पर बैठे लोग, नेता, फ़िल्म एक्टर, बड़े पूंजीपति सब कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी ठीक हो जाते हैं। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्यों कि जब भी कोई महामारी फैलती हैं तो वो अमीर, गरीब, परिंदे, जानवर देखकर सिमट नहीं जाती बल्कि सबको अपने लपेटे में ले लेती हैं।
यह कहना बिल्कुल ग़लत नहीं होगा कि कोरोना एक ऐसी बीमारी बन चुकी हैं, जो कई उद्योगपतियों की दुकान चला रही हैं, जिसके चलते मानो सारी बीमारिया गायब ही हो गयी हैं। आज आंकड़ों को देखें तो सारी मौतें केवल कोरोना से हो रही हैं। डायबटीज़, कैंसर, हार्ट अटैक, एक्सीडेंट या किसी और बीमारी से मरने वाले लोगों की तादाद कहां गायब हो गई है।
एक बार सोचिये कि यदि कोई बीमारी केवल हाथ धोने, और सेनिटाइजर के इस्तेमाल करने से ख़त्म हो जाती हैं तो वो अस्पताल में मरीज़ को भर्ती करने के बाद जानलेवा क्यो हो जाती हैं? यह कैसा कोरोना हैं जिसमे मरीज़ को सुबह भर्ती करो और शाम को उसकी मृत्यु की ख़बर आ जाती हैं। मतलब सुबह से लेकर शाम तक कोरोना रिपोर्ट भी आ गयी, मृत्यु भी हो गयी और अंतिम संस्कार भी।
कभी सोचा है यह कैसा कोरोना हैं? जिसमे पूंजीपति लोग केवल खुद को कुछ दिन क्वारंटाइन करके ही ठीक हो जाते हैं, परंतु गरीब और मध्यम वर्ग के लोग लपेटे में आ जाते हैं।
ऐसे उदाहरण भी मौजूद हैं। कैसे मशहूर गायक कनिका कपूर 5वी बार पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी ठीक हो गई। यह कोनसा इलाज है जो बड़े फ़िल्म अभिनेता और नेता लोग लेते है और ठीक भी हो जाते हैं। हैरानी की बात हैं न ?
गरीब और मध्यम वर्ग को खाँसी, ज़ुखाम, बुखार जैसे लक्षण भी नहीं होते फिर भी उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती हैं और उनको ज़बरदस्ती अस्पताल में भर्ती करवा दिया जाता हैं, जहां न ऑक्सीजन है ना वेंटीलेटर और न ही बेड, और सबसे मज़े की बात डॉक्टर भी नहीं।
कोरोना और इसके इलाज को लेकर जिस तरह की ख़बरें बाहर आ रही हैं उससे कई संदेह पैदा होना स्वाभाविक है। कहीं यह कोई बड़ा घोटाला तो नहीं हो रहा? पिछले कुछ महीनो में ऐसे मामले भी सामने आये हैं जिनमे मृतकों के परिजनों ने मृतक की बॉडी से बहुत से अंग गायब होने की शिकायत भी की है।
आखिर कोरोना के नाम पर ये कैसा खेल खेला जा रहा है। यह संदेह इसलिए भी गहराता जा रहा है क्यों कि जिन लोगों को कोरोना की दो डोज दी जा चुकी हैं, वे भी फिर से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। इसलिए सुरक्षित रहिये जागरुक रहिये। जय हिन्द- जय भारत।