नोटबंदी मामले में हलफनामा दाखिल नहीं कर पाई केंद्र सरकार, कोर्ट ने कहा ‘यह बेहद शर्मनाक’

नई दिल्ली। 8 नवंबर 2016 को देश में लागू की गई नोटबंदी को लेकर सुप्रीमकोर्ट की सुनवाई 24 नवंबर तक के लिए टाल दी गई है। इसकी वजह इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा अब तक हलफनामा दाखिल न करना है।
केंद्र सरकार द्वारा हलफनामा दाखिल न करने पर सुप्रीमकोर्ट ने कड़ी नाराज़गी जताते हुए कड़ी टिप्पणी की है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह कोर्ट के लिए भी शर्मनाक है।
इससे पहले इस मामले में 11 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र और आरबीआई से 2016 के नोटबंदी के फैसले पर हलफनामा दायर करने और आरबीआई को केंद्र के पत्र, आरबीआई बोर्ड के फैसले और नोटबंदी की घोषणा के संबंध में फाइलें तैयार रखने को कहा था।
बुधवार को इस मामले की सुनवाई होनी थी लेकिंन न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी द्वारा हलफनामा दायर करने के लिए और समय की मांग पर सुनवाई स्थगित करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 24 नवंबर तय की।
हलांकि अटॉर्नी जनरल ने हलफनामा पेश न कर पाने के लिए पीठ से माफ़ी भी मांगी। इस पर पीठ ने कहा कि आम तौर पर एक संविधान पीठ इस तरह कभी भी स्थगित नहीं होती है। हम कभी ऐसे नहीं उठते। यह कोर्ट के लिए भी बेहद शर्मनाक है।
बता दें नोट बंदी को लेकर सुप्रीमकोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट के न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम, और बी.वी. नागरत्ना शामिल हैं।