कैप्टेन की फिर होगी कांग्रेस में वापसी!, कमलनाथ कर रहे बात: सूत्र

कैप्टेन की फिर होगी कांग्रेस में वापसी!, कमलनाथ कर रहे बात: सूत्र

नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह को नई पार्टी बनाने से रोकने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने प्रयास तेज कर दिए हैं। सूत्रों की माने तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह को पुराने गिले-शिकवे मिटाकर पार्टी में वापस लाने की कोशिश की जा रही है।

कांग्रेस सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस में वापस लाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के कई सीनियर नेता कैप्टेन अमरिंदर सिंह से बात कर रहे हैं। इनमे कैप्टेन के दोस्त कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि कमलनाथ ने कैप्टेन अमरिंदर सिंह से नई पार्टी बनाने के इरादे को ठंडे बस्ते में रखने और कांग्रेस में नई ज़िम्मेदारी के साथ वापसी का इरादा बनाने की सलाह दी है।

सूत्रों ने कहा कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस की प्रचार समिति में स्थान दिया जा सकता है और पार्टी उनसे पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव प्रचार भी करा सकती है।

सूत्रों की माने तो फ़िलहाल अमरिंदर सिंह को कांग्रेस में पूरी इज़्ज़त के साथ वापसी की शर्त पर नई पार्टी बनाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मनाने की कोशिश हो रही है।

देखना है कि अगले एक सप्ताह के अंदर पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह की तरफ से क्या एलान किया जाता है। वे नई पार्टी बनाएंगे या कांग्रेस में वापसी करेंगे, ये अगले दो-तीन दिनों में साफ़ होने की संभावना है।

सूत्रों की माने तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने 28 अक्टूबर को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने का एलान किया था लेकिन उन्होंने मुलाकात नहीं की। सूत्रों ने कहा कैप्टेन ने अमित शाह से अपनी मुलाकात को कमलनाथ से बातचीत के बाद टाल दिया था। अगर यह सच है तो फिलहाल यह माना जा सकता है कि कैप्टेन के रुख में पार्टी आलाकमान के लिए नरमी आई है।

हालांकि पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कैप्टेन के तेवरों में कोई कमी नहीं आई है। वे अभी भी सिद्धू को निशाना बना रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ कैप्टेन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। ज़ाहिर है कि कैप्टेन भी फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं और वे कांग्रेस का दरवाजा अपने लिए बंद नहीं होने देना चाहते।

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