यूरिया की कालाबाजारी: 270 की बोरी 500 में बेच रहे लाइसेंसधारी व्यापारी, प्रशासन मौन

यूरिया की कालाबाजारी: 270 की बोरी 500 में बेच रहे लाइसेंसधारी व्यापारी, प्रशासन मौन

पांढुर्ना(गुड़डू कावले)। जहाँ एक तरफ किसान यूरिया खाद के लिए परेशान हैं वहीँ शहर में किसान कल्याण कृषि विभाग कृषि विस्तार अधिकारी की नाक के नीचे शहर के कृषि केंद्र के व्यापारी खुलेआम यूरिया खाद की कालाबाजारी कर रहे है। शहर के कृषि केंद्र लाइसेंस धारी व्यापारी पहले बीज और अब यूरिया खात की कालाबाजारी से क्षेत्र के किसानों की जेब पर डाका डाल रहे है।

72 ग्राम पंचायत विकासखंड में स्थित किसान यूरिया खाद के लिए दर-दर भटक रहा है। हालांकि क्षेत्रीय विधायक नीलेश उइके ने जिला कलेक्टर सौरभ सुमन को क्षेत्र में यूरिया की भारी कमी के सबंध में अवगत कराया है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है कि क्षेत्र का आदिवासी भोले भाले गरीब किसान को शहर के कुछ कृषि केंद्रों पर यूरिया खाद की रु270 की बोरी रु500 में खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह सीधे सीधे किसानों की मजबूरी का फायदा उठाना और लाइसेंस की आड़ में कालाबाजारी करना हैं।

हालांकि कांग्रेस शहरी नेता यूरिया की कमी और अपनी राजनीति चमका रहे हैं और प्रशासन से पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्धध कराने की मांग कर रहे है। परंतु क्षेत्र के किसान को कृषि केंद्र लाइसेंस धारी व्यापारी लूट रहेे हैं और यूरिया की कालाबाजारी जगजाहिर होने के बावजूद स्थानीय राजनीतिक दलों के लोग क्षेत्र के किसान के प्रति संवेदनशील नहीं है।

शहर के कुछ किसानों ने अपना नाम न बताते की शर्त पर गोपनीय जानकारी देते हुए बताया शहर के कुछ कृषि केंद्र लाइसेंस धारी व्यापारी अपने गोदामों से शासन से निर्धारित मानक मूल्य के दुगने भाव किसानों को यूरिया खात की बोरी बेच रहे हैं।इस मामले में स्थानीय प्रशासन आंखें मूंदकर बैठा है।

क्षेत्र में हो रही यूरिया खाद की कालाबाजारी पर प्रशासन मौन है। कृृषि विभाग केे अधिकारी क्षेत्र में किसानों के साथ हो रही खाद के नाम पर लूट को लेकर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।इन परिस्थितियों में किसान परेशान है। शासन द्वारा समितियो में यूरिया एवं खाद की भारी कमी के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

शासन द्वारा सिर्फ 1 किसान को उसके खेत की 1 बही पर 2 बोरी यूरिया ही दिया जा रहा है। ऐसे में क्षेत्र का बड़ा किसान को जिनके पास 1 ही बही और रकबा जादा है।ऐसी स्थिति में किसान को यूरिया नही मिल रहा है।

वहीँ जानकारों का कहना है कि इस बार किसानों के खेतों की फसले ठीक है परन्तु समय पर यूरिया और खाद की कमी से किसान खून के आँसू रोने को मजबूर है।

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TeamDigital