ये है मालेगाँव ब्लास्ट की साजिश रचने की आरोपी साध्वी प्रज्ञा को एनआईए की क्लीनचिट की कहानी
नई दिल्ली । मालेगांव ब्लास्ट की साजिश रचने की आरोपी को एनआईए ने किस आधार पर क्लीनचिट दे दी जबकि उसके खिलाफ गवाही देने वाले एक दो नहीं बल्कि पांच गवाह थे । साध्वी प्रज्ञा को क्लीनचिट दिया जाना एक फ़िल्मी कहानी की तरह है जिसमे कई जगह ट्विस्ट आया है ।
हिंदी दैनिक जनसत्ता में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मालेगांव धमाकों की साजिश रचने के लिए साध्वी प्रज्ञा को आरोपी बनाते हुए, महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड ने कई बातों का हवाला दिया है। मसलन, साध्वी के स्वामित्व वाली वह मोटरसाइकिल जिस पर कथित रूप से विस्फोटक पैक किए गए, साजिश के लिए बैठकों में उनकी कथित उपस्थिति, सह-आरोपियों व अन्य के इकबालिया बयान।
हालांकि साध्वी को साजिश के केंद्र में लाने के लिए पांच महत्वपूर्ण गवाहों के बयान जिम्मेदार हैं। इनके नाम हैं- हिमानी सावरकर, दिलीप पाटीदार, धर्मेंद्र बैरागी, यशपाल बदाना और आरपी सिंह। एटीएस की चार्जशीट के अनुसार, सावरकर, बदाना और सिंह ने 11 अप्रैल, 2008 को बंद दरवाजों के पीछे हुई एक बैठक में बम लगाने वालों से साध्वी को बातचीत करते सुना था। वर्तमान में, सावरकर की मौत हो चुकी है, पाटीदार करीब 7 साल से गायब है और बैरागी ने अपना बयान बदल लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार नेशनल इनवेस्टिगेशन एजंसी, जिसने पिछले महीने एटीएस की दलीलों को नकारते हुए एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी, ने बचे हुए दोनों गवाहाें- बदाना और सिंह से फिर पूछताछ की। एनआईए ने मामले की जांच 2011 में शुरू की थी लेकिन बदाना और सिंह से 2015 के आखिरी महीनों, प्रज्ञा को क्लीन चिट देने वाली सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल करने के कुछ महीनों पहले ही पूछताछ की गई। एटीएस की चार्जशीट के 452 गवाहों में से एनआईए ने सिर्फ 11 से फिर पूछताछ की।
मुंबई कोर्ट में ट्रायल के दौरान एनआईए ने बताया, ”सभी गवाह अपने बयानों से पहले ही मुकर चुके थे। सावरकर, जो कि भोपाल बैठक का चश्मदीद गवाह थी, के बारे में एनआईए ने कोर्ट को बताया कि उसका बयान ‘किसी काम का नहीं’ था क्योंकि ‘वह मर चुकी थी।’ एनआईए ने पाटीदार और बैरागी के मूल बयानों पर भरोसा नहीं किया, जिन्होंने एटीएस चार्जशीट के मुताबिक ‘धमाकों के पहले और बाद में बम लगाने वालों- संदीप डांगे और रामचंद्र कालसंगरा को साध्वी के साथ’ देखा था। जहां बैरागी अपने बयान से मुकर गया है, वहीं एनआईए के अनुसार, पाटीदार का गायब हो जाना इस बात का सबूत है कि ”एटीएस की जांच में संदिग्ध तरीके अपनाए गए थे।”
बदाना और सिंह से दोबारा पूछताछ क्यों हुई, इस बारे में एनआईए का कहना है कि क्योंकि आरोपी रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी ने न्यायिक हिरासत में हुई पूछताछ में कहा था कि बदाना भोपाल मीटिंग में मौजूद नहीं था।