फेसबुक पोस्ट की वजह से शहर में दंगा : जेल भेजे गए एक नाबालिग लड़के के परिजनों की आपबीती
बीते माह 17 मार्च को झारखण्ड के बोकारो शहर के करीब पड़ने वाले एक कस्बे में अचानक माहौल बदलने लगा । हिन्दू मुस्लिम आबादी वाले इस इलाके में अचानक एक फेसबुक पोस्ट को लेकर मामला सांप्रदायिक हो गया । नासमझी की इतनी बड़ी सजा की किसी ने कल्पना नहीं की होगी । एक नाबालिंग द्वारा अपने दोस्त की वॉल से एक धार्मिक फोटो शेयर करना बवाल-ऐ-जान बन गया ।
ब्यूरो । इस दिन (17 मार्च) जब 55 साल के मोहम्मद मोहम्मद इनामुल हक को अखबार पढ़ रहे थे तो एक खबर पढ़कर वे परेशान हो गए। खबर के मुताबिक बोकारो शहर से 15 किलोमीटर दूर बेरमो पुलिस स्टेशन में उनके बीस साल के बेटे आदिल अख्तर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आदिल पर देवी दुर्गा के अपमान वाली फेसबुक पोस्ट शेयर करने का आरोप था।
हक को जल्द ही पता चल गया कि आदिल ने अपने एक फेसबुक फ्रेंड और दूर के रिश्तेदार की फेसबुक पोस्ट शेयर की थी। इसके साथ ही इस पर कमेंट किया था और जब किसी ने गुस्से में इस पर प्रतिक्रिया दी तो उसे हटा दिया। क्या यह उसे जेल में डालने के काफी है, क्या इसकी वजह से एक शहर को फूंक दिया जाना चाहिए। क्या इससे दो समुदायों में आपसी रोष फैला दिया जाए।
हक कहते हैं कि ऐसे सवाल मैं अपने आपसे कर कर रहा हूं, लेकिन इनका कोई जवाब नहीं मिलता। आदिल और उसके नाबालिग फेसबुक फ्रेंड को कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आईटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने करीब 22 लोगों को दंगों और आगजनी के आरोप में गिरफ्तार किया है और अभी कुछ और आरोपी फरार हैं। 15 मार्च को बेरमो पुलिस स्टेशन में आदिल और नाबालिग के खिलाफ फेसबुक पोस्ट शेयर करने और कमेंट करने के आरोप में लिखित में शिकायत दर्ज कराई गई थी। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि सबसे पहले यह पोस्ट किसने पोस्ट की थी।
पुलिस ने नाबालिग के परिवार को बुलाया और लड़के को पुलिस के सामने पेश करने के लिए कहा। पुलिस ने बताया कि 16 मार्च को जब लड़का पुलिस स्टेशन आ रहा था तो भीड़ ने उसे घेर लिया और उसे करगिली कम्यूनिटी सेंटर लेकर चली गई। हालांकि, उस पर भीड़ हमला करती उससे पहले ही पुलिस वहां पहुंच गई और उसे बचाकर अपनी हिरासत में ले लिया।
भीड़ इस बात से गुस्सा थी कि पुलिस ने लड़के को उनके हवाला क्यों नहीं किया। इसके बाद भीड़ ने करगिली बाजार में पत्थरबाजी और आगजनी की। इसके साथ ही उन्होंने दुकानों और वाहनों को आग लगा दी। बेरमो पुलिस स्टेशन पर भी हमला किया गया। बेरमो शहर से सात किलोमीटर दूर जरीडीह बाजार स्थित घर में मौजूद आदिल के पिता कहते हैं कि उन्होंने सुना जरूर की शहर में कुछ विवाद हो गया, लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि उनका बेटा भी इसमें शामिल है।
कार बैट्री रिचार्ज करने का छोटा का बिजनेस करने वाले हक बताते हैं, ‘ जब मैंने मेरे बेटा का नाम अखबार की खबर में देखा तो चौंक गया। वह बिहार के गया जिले में स्थित हमारे पैतृक गांव शेरघाटी एक शादी में शामिल होने गया हुआ था। मैं इसके बाद पुलिस स्टेशन गया तो उन्होंने कहा कि आदिल को घर बुलाओ और जांच में शामिल करो।
मैंने आदिल को कॉल किया और घर से 40 किलोमीटर दूसर तेनुघाट जेल के पास आने को कहा। क्योंकि बेरमो और आसपास के इलाकों में माहौल खराब था। मैंने पुलिस को सूचना दी कि आदिल वहां आएगा और उन्होंने उसे गिरफ्तार कर लिया।’ हक बताते हैं कि वह पहली बार जरीडीह बाजार साल 1993 में आए थे और उनके यहीं पर पांच बच्चे हुए।
तीन बेटों और दो बेटियों की यहीं सरकारी स्कूल में पढ़ाई करवाई और पिता की पेंशन जो कि सरकारी टीचर थे से घर बनवाया। उनके सबसे बड़े बेटे आरजू की कैंसर की वजह से मौत हो गई थी। आदिल पुलिस फोर्स ज्वाइन करना चाहता था। इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रहा था। हक ने बताया कि पिछले साल वह रांची सीआईएसफ की भर्ती देखने गया था, लेकिन पांच नंबरों से रह गया। इसके बाद कुछ महीने पहेल ही वह बोकारो झारखंड पुलिस भर्ती में गया था। लेकिन यह नहीं पता कि अब उसका क्या होगा।
कुछ दिन पहले हक जब जेल में अपने बेटे से मिलने गए तो वह इस बारे में चिंतित था। जरीडीह बाजर से दो बार वार्ड मेंबर हक की पत्नी इशरत जहां कहती है कि हमें जरा सा भी पता होता कि हमारे बेटे ने क्या किया है तो हम खुद उसे लोगों के पास ले जाते और उनसे माफी मंगवाते। उसने केवल वहीं किया जो अन्य लड़के फोन पर करते हैं। उसका मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।
करगिली बाजार के नजदीक धोरी जहां 16 मार्च को आगजनी हुई थी, वहां स्थित नाबालिग का घर बंद है। लड़के के गिरफ्तार होने के कुछ दिन बाद से ही उसके परिवार घर छोड़कर चला गया। उनके पड़ोस में रहने वाली गीता देवी बताती हैं कि लड़के का पिता झाड़-फूंक करता था और हर किसी से झगड़ा करता था। लेकिन वह लड़का दूसरे बच्चों की तरह शांत रहता था। कुछ घर दूर मोहम्मद कमरूद्दीन जिसने लड़के को बेरमो में पुरानी मस्जिद में उर्दू पढ़ाई थी का कहना है कि मैंने उसे बचपन से पढ़ाया है। वह धार्मिक लड़का है और हर रोज पांच वक्त की नमाज पढ़ता था।
मस्जिद कमेटी के प्रमुख परवेज अख्तर फोन पर बताते हैं कि यह घटना हमारे दूसरे समुदाय से संबंध बिगाड़ने के लिए की गई है। बेरमो में यह पहली बार हुआ है। हम यह नहीं चाहते कि उस बच्चे की इसलिए मदद की जाए कि वह हमारे धर्म से थे। बच्चा समान्य था। मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूं कि वह नहीं जानता होगा कि वह फोन पर क्या कर रहा है। रात रतन हाई स्कूल में वह लड़का कक्षा 10 में पढ़ता था।
वहां बतौर ऑफिस असिस्टेंट कार्यरत सनथ कुमार सिंह ने कहा कि मैं पिछले दो साल से उसका फेसबुक फ्रेंड हूं। वह पढ़ाई में सामान्य था लेकिन उसके क्लासमेट और टीचर्स का वह चहेता था। वह सरस्वती पूजा में भी हिस्सा लेता था। साथ ही उसने कहा कि अगर आप ये भी मानते हैं कि उसने गलती की है तो क्या यह इतनी बड़ी गलती थी कि एक बड़े अपराधी की तरह उसके साथ पेश आए। उसे चेतावनी दे और परिवार को सचेत कर सकते थे। वह कोई गंभीर अपराधी नहीं था।