गहराई से: मध्य प्रदेश में क्यों है सीएम शिवराज की हवा टाइट?
भोपाल ब्यूरो(राजाज़ैद)। मध्य प्रदेश में 3 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन उनकी ताकत ज़मींन पर खरी नहीं उतर रही।
इस बीच एक ऐसी भी खबर आई है, जिससे प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब संजोये बैठे शिवराज विरोधी बीजेपी नेता प्रसन्न है। सूत्रों की माने तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज का भविष्य उपचुनाव के परिणामो पर टिका है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकमान मध्य प्रदेश सरकार के नेतृत्व परिवर्तन का मन बनाये बैठा है, ऐसे में यदि उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहता है तभी शिवराज को संजीवनी मिल सकती है।
सूत्रों ने कहा कि शिवराज के उत्तराधिकारी के तौर पर भूपेंद्र सिंह, नरोत्तम मिश्रा तथा वीडी शर्मा के नामो को लेकर पार्टी हाईकमान चर्चा कर चुका है लेकिन इस बीच आये उपचुनावो को देखते हुए हाईकमान ने अपना निर्णय कुछ दिनों के लिए टाल दिया है।
सूत्रों ने कहा कि मध्य प्रदेश की कुर्सी हाथ से जाते देख सीएम शिवराज ने पिछले दिनों दिल्ली के कई अनावश्यक दौरे भी किये और बीजेपी के बड़े नेताओं यहां तक कि पीएम मोदी के दरवार में हाजिरी भी लगाई थी।
फिलहाल तीन विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में जान फूंक रहे सीएम शिवराज के समक्ष दोहरी चुनौती खड़ी है। यही कारण है कि उपचुनाव में फंसी बीजेपी को बाहर निकालने के लिए आनन् फानन में एक कार्यक्रम तैयार किया गया, जिससे बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को एक्टिव किया जा सके।
उपचुनाव में सीएम शिवराज के समक्ष एक मुश्किल नहीं है। सबसे बड़ी मुश्किल उन्हें पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों, देश में बढ़ती मंहगाई और किसान आंदोलन को लेकर पेश आ रही है। बीजेपी नेतृत्व जिस डबल इंजन सरकार की दुहाई देकर चुनाव में वोट मांगता था, वह दावा अब हवा हवाई साबित हो रहा है। ग्रामीण इलाको में मतदाता बीजेपी नेताओं से मंहगाई पर सवाल कर रहे हैं।
वहीँ मानसूनी बारिश के बाद टूटी पड़ी मध्य प्रदेश के कई अहम शहरो की सड़को ने सीएम शिवराज के उस दावे की पोल भी खोल दी है, जिसमे वे मध्य प्रदेश की सड़को को वाशिंगटन की सड़को से बेहतर बताया करते थे। ऐसे में सीएम शिवराज अपने शासनकाल से पहले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की सड़को का मामला उठाकर जनता के सवालो से बच रहे हैं।
उपचुनाव में कई मुद्दों से जूझ रही बीजेपी के पास संघ की शरण में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इसलिए जनसंघ के स्थापना दिवस का बहाना लेकर सम्मेलन बीजेपी का आयोजित किया जा रहा है। चुनावी गणित को साधने में जुटे सीएम शिवराज की सलाह पर बीजेपी ने 21 अक्टूबर को जनसंघ के स्थापना दिवस पर उपचुनाव वाले सभी 3067 बूथों पर जनसंघ का स्थापना दिवस मनाने का फैसला किया है।
हालांकि चुनावी संग्राम में हवा का रुख बीजेपी के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहा लेकिन इसके बावजूद कुर्सी बचाने की कवायद के तहत सीएम शिवराज अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिए हर दांव आजमा रहे हैं।
सीएम शिवराज सिंह चौहान जानते हैं कि एक बार सीएम की कुर्सी जाने के बाद उन्हें भी बीजेपी के मार्गदर्शन मंडल तक सीमित कर दिया जाएगा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सीएम शिवराज 2023 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का चेहरा बने रहना चाहते हैं।
फिलहाल देखना है कि 30 अक्टूबर को होने जा रहे तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर मतदान में मतदाताओं की उंगली ईवीएम के किस बटन को ज़्यादा दबाती है।