उत्तराखंड बीजेपी में फिर उठापटक, सीएम रावत ने दिया इस्तीफा
नई दिल्ली। उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी में चल रही उठापटक अभी थमी नहीं हैं। राज्य में हाल ही में मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
इससे पहले शुक्रवार शाम को तीरथ सिंह रावत ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और इस्तीफे की पेशकश की। तीरथ सिंह रावत को इस साल की शुरुआत में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह उत्तरखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था। रावत ने 10 मार्च को सीएम के रूप में शपथ ली थी
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को बुधवार को बीजेपी हाईकमान द्वारा दिल्ली तलब किया गया था। इसके बाद ही कयास लगने शुरू हो गए थे। हालांकि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे को संवैधानिक संकट से जोड़कर देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं हैं और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में संवैधानिक संकट का ज़िक्र किया है।
उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि आर्टिकल 164-ए के हिसाब से उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद छह महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो वहा पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।
वहीँ उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए शनिवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। सूत्रों की माने तो नए मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी हाईकमान की पसंद के चेहरों में राज्य सरकार में मंत्री धन सिंह रावत, बंशीधर भगत, हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज का नाम शामिल है।
मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत के संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान कई मामलो में बीजेपी को बड़ी फजीहत झेलनी पड़ी है। कोरोना महामारी के बीच कुम्भ के आयोजन और कोविड जांच के आंकड़ों को लेकर राज्य सरकार और बीजेपी की फजीहत हुई है। इतना ही नहीं तीरथ सिंह रावत के कुछ बयानो ने भी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं।