योगी सरकार ने माना कांग्रेस का प्रस्ताव, कांग्रेस द्वारा दी गई एक हज़ार बसों से जायेंगे प्रवासी मजदूर

योगी सरकार ने माना कांग्रेस का प्रस्ताव, कांग्रेस द्वारा दी गई एक हज़ार बसों से जायेंगे प्रवासी मजदूर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कांग्रेस के उस प्रस्ताव को मान लिया है जिसमे सरकार से कहा गया था कि प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए कांग्रेस ने एक हज़ार बसें मुहैया कराई हैं। प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए सरकार इन बसों का उपयोग करे।

कांग्रेस महासचिव एवं उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में बताया था कि दिल्ली यूपी बॉर्डर पर प्रवासी मजदूरों के लिए एक हज़ार बसें कांग्रेस पार्टी की तरफ से लगाई गई हैं। सरकार प्रवासी मजदूरों को वापस पहुंचाने के लिए इन बसों के इस्तेमाल की अनुमति दे।

कांग्रेस के प्रस्ताव पर अब उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस से बसों की सूची और चालक, परिचालकों की जानकारी मांगी है। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) ने प्रियंका गांधी के निजी सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि प्रस्तावित बसों और उनके ड्राइवर, परिचालको की जानकारी उपलब्ध कराएं।

इससे पहले कल कांग्रेस की तरफ से दिल्ली यूपी बॉर्डर पर एक हज़ार बसें लगाई गई थीं। ये बसें कल से अभी तक प्रवासी मजदूरों के इन्तजार में बॉर्डर पर खड़ी हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इन बसों को अनुमति न दिए जाने पर ट्वीट कर कहा कि “आदरणीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपसे निवेदन कर रही हूँ, ये राजनीति का वक्त नहीं है। हमारी बसें बॉर्डर पर खड़ी हैं। हजारों श्रमिक, प्रवासी भाई बहन बिना खाये पिये, पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की ओर चल रहे हैं। हमें इनकी मदद करने दीजिए। हमारी बसों को परमीशन दीजिए।”

प्रदेश सरकार की तरफ से अनुमति मिलने में हो रही देर को लेकर प्रियंका गांधी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि ‘प्रवासी मजदूरों की भारी संख्या घर जाने के लिए गाजियाबाद के रामलीला मैदान में जुटी है। यूपी सरकार से कोई व्यवस्था ढंग से नहीं हो पाती। यदि एक महीने पहले इसी व्यवस्था को सुचारू रूप से किया जाता तो श्रमिकों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।’

उन्होंने कहा कि ‘कल हमने 1000 बसों का सहयोग देने की बात की, बसों को उप्र बॉर्डर पर लाकर खड़ा किया तो यूपी सरकार को राजनीति सूझती रही और हमें परमिशन तक नहीं दी। विपदा के मारे लोगों को कोई सहूलियत देने के लिए सरकार न तो तैयार है और कोई मदद दे तो उससे इंकार है।’

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