टाटा की हुई एयर इंडिया, 18000 करोड़ में हुई डील
नई दिल्ली। एयर इंडिया अब टाटा समूह की हो जाएगी। टाटा समूह ने एयर इंडिया हासिल करने के लिए सर्वाधिक 18000 करोड़ की बोली लगाई। एयर इंडिया को हासिल करने के लिए टाटा समूह के अलावा स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह ने भी व्यक्तिगत हैसियत में बोली लगाई थी। उनकी बोली 15,100 करोड़ रुपये की थी।
टाटा समूह की कंपनी टालेस प्राइवेट लिमिटेड ने इसके लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। इसमें से 15,300 करोड़ रुपये कर्ज चुकाने में जाएंगे और सरकार को 2,700 करोड़ रुपये मिलेंगे। सरकार ने 12,906 करोड़ रुपये की रिजर्व प्राइस रखी थी।
औपचारिकताएं पूरी करने में लगेगा इतना समय:
विनिवेश (दीपम) सचिव तुहीन कांत पांडे ने शुक्रवार को बताया कि पहले आशय पत्र जारी किया जाएगा और शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। दिसंबर तक सभी औपचारिकताएं पूरी कर लिए जाने की उम्मीद है। अधिग्रहण के बाद टाटा समूह को एक साल तक एयर इंडिया के कर्मचारियों को बरकरार रखना पड़ेगा। दूसरे साल वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का ऑफर दे सकती है।
एयर इंडिया के पास हैं 12085 कर्मचारी:
उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने बताया कि एयर इंडिया के पास 12,085 कर्मचारी हैं। इनमें 8,084 स्थायी और 4,001 कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। एयर इंडिया एक्सप्रेस में 1,434 कर्मचारी हैं। अगले पांच वर्षों में करीब पांच हजार स्थायी कर्मचारी रिटायर होंगे। प्रति विमान सबसे ज्यादा, 221 कर्मचारियों का रिकॉर्ड एयर इंडिया के ही नाम है। लुफ्थांसा के पास प्रति विमान 127, सिंगापुर एयरलाइंस में 140 और ब्रिटिश एयरवेज में 178 कर्मचारी हैं।
सरकार की तरफ से इस घोषणा के बाद टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने ट्वीट किया और खुशी जताई। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के पुनर्निर्माण की पूरी कोशिश की जाएगी। एयर इंडिया की स्थापना जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में की थी। तब इसका नाम टाटा एयरलाइंस था। रतन टाटा ने ट्वीट में लिखा, “एक समय इसकी गिनती दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइंस में होती थी। अगर आज जेआरडी टाटा हमारे बीच होते तो बहुत खुश होते।”
वहीँ एयर इंडिया के पूर्व जनरल मैनेजर जी. प्रसाद राव ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि एयर इंडिया सिर्फ ब्रांड नहीं बल्कि भारत की विरासत और इतिहास भी है। एयर इंडिया का विनिवेश निश्चित रूप से जेआरडी टाटा के सपने के पुनरूत्थान का कारण बनेगा। टाटा ग्रुप के साथ एयर इंडिया एक बार फिर अपनी पूरी ताकत और गौरव के साथ खड़ा होगा।