एनआरसी से बाहर बच्चो को हिरासत में लेने के मामले में सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर
नई दिल्ली। असम में एनआरसी की लिस्ट में माता-पिता के नाम शामिल होने और बच्चो के नाम गायब होने के चलते बच्चो को हिरासत में लिए जाने के मामले में सुप्रींम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीमकोर्ट में होगी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) मुद्दे पर सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस की बेंच ने एनआरसी समन्वयक हितेश देव सरमा के एनआरसी से बाहर किए गए लोगों से जुड़े फेसबुक पोस्ट पर नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी समन्यवक हितेश देव सरमा को नोटिस जारी करते हुए उनके फेसबुक पोस्ट पर सफाई मांगी है। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र और असम सरकार को नोटिस जारी कर एनआरसी से बाहर किए गए लोगों की स्थिति और समन्वयक के बयान पर अपनी स्थिति साफ करने को कहा है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने एनआरसी लिस्ट से बाहर किए गए उन बच्चों के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है जिनके माता-पिता का नाम एनआरसी लिस्ट में तो है, लेकिन बच्चों का नाम शामिल नहीं है।
चीफ जस्टिस की बेंच ने अटॉर्नी जनरल के जरिए केंद्र को जवाब देने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा है कि पहले हमें तथ्यों को देखना होगा। अभी बहुत मुश्किल हालात हैं।
इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘मैं बच्चों को डिटेंशन सेंटर्स भेजे जाने और उन्हें माता-पिता से अलग किए जाने के बारे में नहीं सोच सकता। मुझे बच्चों के डिटेंशन सेंटर्स में रखे जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।’ चीफ जस्टिस जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र और राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 31 अगस्त को अपडेट किए जाने के बाद एनआरसी लिस्ट जारी की गई थी जिसमें 19 लाख व्यक्तियों के नाम शामिल नहीं थे। एनआरसी में नाम शामिल करने के लिए 3,30,27,661 व्यक्तियों ने आवेदन किया था। इनमें से 3,11,21,004 लोगों को इसमें शामिल किया गया जबकि 19,06,657 को इससे बाहर हो गए थे।