अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा पर FIR दर्ज करने पर 3 महीने में फैसला ले हाईकोर्ट: SC
नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय को निर्देश दिए हैं कि वह दिल्ली दंगे में बीजेपी नेताओं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर 3 महीने में फैसला ले।
देश की सर्वोच्च अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय को यह निर्देश जारी किये हैं। इस याचिका में भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा तथा अन्य के कथित नफ़रत फ़ैलाने वाले भाषणों को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देकर लोगों को हिंसा के लिए उकसाया था। यह याचिका जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखी गई थी।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने पहले शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने पिछले साल 4 मार्च को मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था और इसे उचित समय के भीतर सुनने और निस्तारित करने के लिए कहा था।
हिंसा पीड़ित तीन व्यक्तियों की तरफ से दायर की गई इस याचिका पर शीर्ष अदालत के पिछले साल मार्च के उस आदेश के बावजूद, जिसमें उच्च न्यायालय से याचिका का जल्द से जल्द निस्तारण करने के लिए कहा गया था, इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।
पीठ ने कहा कि हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस रिट याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए यह रिट याचिका खारिज की जाती है। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर रिट याचिका में कोई प्रगति नहीं हुई है।
उन्होंने अदालत से कहा कि पहले से ही भाषणों के वीडियो साक्ष्य सार्वजनिक हैं और यह प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सरल और सीधा मामला है। मामलों का निपटारा करने में देरी पूरी तरह से अनुचित है। मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला करने को कहा था। उन्होंने अनुरोध किया कि शीर्ष अदालत को इस मामले को अपने हाथ में लेना चाहिए और फैसला करना चाहिए।
.इस पर उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि मामले को वापस हाईकोर्ट में भेजे जाने के बाद हम कुछ नहीं कर सकते। हम केवल हाईकोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई करने और उसे निपटाने का अनुरोध कर सकते हैं। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट को तीन महीने के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ दिल्ली में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे। आरोप है कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले बयान देकर आग में घी डालने का काम किया और लोगों को हिंसा के लिए उकसाया।