किसान आंदोलन पर शरद पवार की चेतावनी, किसानो के धैर्य का इम्तेहान न ले सरकार

किसान आंदोलन पर शरद पवार की चेतावनी, किसानो के धैर्य का इम्तेहान न ले सरकार

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने किसानो के आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। पवार ने कहा कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों पर समय से निर्णय नहीं लिया तो दिल्ली की सीमाओं पर चला रहा प्रदर्शन अन्यत्र भी फैल सकता है।

शरद पवार ने कहा कि कृषि कानूनों पर संसद में विपक्षी दलों द्वारा सरकार से विस्तृत चर्चा की मांग किये जाने के बावजूद सरकार ने इन्हे जल्दबाज़ी में पास कर दिया। पवार ने कहा कि सरकार किसानो की सहिष्णुता का इम्तेहान न ले।

वहीँ दूसरी तरफ किसानो का आंदोलन शुक्रवार को भी जारी रहा। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार जब तक कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती तब तक किसान सड़क से नहीं उठेगा और आंदोलन जारी रहेगा।

सिंघु बॉर्डर पर एक किसान नेता ने कहा कि यह आंदोलन अब किसान आंदोलन नहीं रहा बल्कि जन आंदोलन बन गया है। हमारे आंदोलन को हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है।

किसानो के खिलाफ महामारी एक्ट में एफआईआर:

कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाही करते हुए एफआईआर दर्ज की है। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। किसानों के खिलाफ एफआईआर 7 दिसंबर को अलीपुर थाने में दर्ज की गई है।

कृषि मंत्री ने कहा, सरकार बातचीत के लिए तैयार:

किसान आंदोलन को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने एक बार फिर साफ़ किया है कि किसानो के साथ बातचीत के लिए सरकार के दरवाज़े खुले हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं, किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाए हैं। सरकार बात करके उसमें(कानून) सुधार करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि सर्दी का मौसम है और कोरोना का संकट है, किसान बड़े खतरे में पड़े हुए हैं। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, दिल्ली की जनता परेशान हो रही है। इसलिए जनता के हित में, किसानों के हित में उनको(किसानों) अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए।

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TeamDigital