असम में दूसरे चरण के चुनाव के बाद बीजेपी नेताओं के चेहरे मुरझाये
गुवाहाटी। असम आज दूसरे चरण के चुनाव के लिए राज्य की 39 सीटों पर मतदान संपन्न हो गया है। दूसरे चरण में मतदान शाम 6 बजे तक 76.96 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। असम में उम्मीद से कहीं अधिक मतदान होने की खबरों के बाद कांग्रेस और एआईयूडीएफ गठबंधन के नेता प्रसन्न दिखाई दिए वहीँ बीजेपी नेताओं के चेहरे मुरझा गए।
असम में दूसरे चरण में जिन इलाको में आज मतदान हुआ, उनमे 25 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन में सीधा मुकाबला है जबकि बाकी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है।
वहीँ अपना वोट डालने के बाद आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने दावा किया कि असम में बीजेपी की हार लिखी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि पहले चरण के चुनाव में ही बीजेपी हार तय हो गई थी।
भाजपा के विज्ञापन पर असम के अखबारों को चुनाव आयोग का नोटिस:
असम में पहले चरण के चुनाव के बाद भाजपा का विज्ञापन खबर के प्रारूप में छापने वाले असम के आठ अखबारों को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है। इन अखबारों में छपे बीजेपी के विज्ञापन में दावा किया गया था कि भाजपा उन सभी 47 सीटों पर जीत दर्ज करेगी जहां शनिवार को पहले चरण में मतदान हुआ था।
कांग्रेस ने इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की थीं। इसके बाद चुनाव आयोग की तरफ से विज्ञापन छापने वाले अखबारों को नोटिस भेजा गया है। इस शिकायत में कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि विज्ञापन चुनाव आयोग के निर्देशों, चुनाव आचार संहिता और जनप्रतिनिधि कानून 1951 का उल्लंघन है।
असम में उम्मीद से अधिक मतदान, किसे हो सकता है फायदा, किसको नुकसान:
चुनावी जानकारों की माने तो असम में आज जिन 39 सीटों पर मतदान हुआ उनमे अधिकतर सीटों पर सीधा मुकाबला है। इस बार कांग्रेस और एआईयूडीएफ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। ज़ाहिर है इस बार बीजेपी को मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर सेकुलर वोटों के विभाजन का लाभ नहीं मिलेगा। जबकि पिछले चुनाव में सेकुलर वोटों के विभाजन का लाभ लेकर ही बीजेपी सत्ता के शिखर तक पहुंची थी।
जानकारों के मुताबिक, मतदान का प्रतिशत बढ़ना इस बात की तरफ इशारा करता है कि अधिकतर सीटों पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण हुआ है और मतदाताओं ने एक इरादे के साथ मतदान किया है।
जानकारों की माने तो राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी को सरकार विरोधी हवा का नुकसान झेलना पड़ सकता है। असम में एनआरसी और सीएए को लेकर राज्य के गरीब तबके में सरकार के खिलाफ कड़ी नाराज़गी है। पिछले चुनाव से पहले संघ ने जिन मतदाताओं को बीजेपी से जोड़ा था, वह एनआरसी लागू किये जाने के सरकार के फैसले के बाद एक बार फिर बीजेपी से छिटक चुका है।