ऑक्सीजन को लेकर नवंबर 2020 में ही संसदीय समिति ने सरकार को चेताया था
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नई दिल्ली। देश में आज जिस तरह ऑक्सीजन की किल्ल्त हो रही है अगर इस पर समय से एक्शन लिया गया होता तो आज ये हालात नहीं होते। कोरोना की पहली लहर के बाद ही पिछले वर्ष नवंबर 2020 में संसद की एक स्थाई समिति ने सरकार को ऑक्सीजन का प्रोडक्शन बढ़ाये जाने के लिए चेताया था। इसके बावजूद सरकार ने इस सुझाव पर कोई अमल नहीं किया।
जानकारी में सामने आया है कि नवंबर 2020 में स्वास्थ्य संबधी संसद की एक स्थाई समिति (स्टेंडिंग कमेटी) ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को सुझाव दिया था कि अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या और ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाया जाए।
इस समिति के अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव हैं और इसमें भाजपा के 16 सदस्य भी शामिल हैं। इस समिति ने अपने सुझाव में कहा था कि सरकार ऑक्सीजन के उचित उत्पादन को प्रोत्साहित करे ताकि अस्पतालों में इसकी आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
इतना ही नहीं संसदीय समिति ने सरकार को दिए अपने सुझाव में कहा था कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण को ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत का निर्धारण करना चाहिए, ताकि इसकी किफायती दर पर उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति ने सरकार से कहा था कि कोरोना को ध्यान में रखकर देश के सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने के लिए काम शुरू किया जाए। समिति ने सरकार को भेजे अपने सुझाव में कहा कि अभी भी सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटरों और बैड की संख्या अपर्याप्त है।
समिति ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हम यह अनुभव कर चुके हैं कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं को विस्तार की आवश्यकता है। भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर ऑक्सीजन भंडारण और उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच प्रतिदिन तीन लाख से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं और इस बीच देश के कई राज्य ऑक्सीजन की किल्ल्त का सामना कर रहे हैं। कई अस्पतालों में मरीजों की तादाद के हिसाब से ऑक्सीजन के अलावा बिस्तरों, वेंटीलेटरो का आभाव सामने आया है।