2024 के चुनाव के लिए विपक्ष का मंथन, बीजेपी के खिलाफ एक मंच पर आने को तैयार

2024 के चुनाव के लिए विपक्ष का मंथन,  बीजेपी के खिलाफ एक मंच पर आने को तैयार

नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में शुक्रवार को संपन्न हुई विपक्ष के नेताओं की वर्चुअल बैठक में 2024 में होने वाले आम चुनाव पर मुख्य तौर पर चर्चा हुई। इसके अलावा बैठक में पेगासस जासूसी, कृषि कानूनों, देश में बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी को लेकर भी चर्चा हुई।

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बैठक में विपक्ष के नेताओं को बड़ा संदेश देते हुए कहा कि 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को परास्त करने के लिए सभी गैर बीजेपी दलों को एक साथ आना होगा। उन्होंने कहा कि इस समय विपक्षी दलों की एकजुटता राष्ट्रहित की मांग है और कांग्रेस अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखेगी।

सोनिया गांधी ने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव हैं, स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों में विश्वास करने वाली सरकार देने के लिए व्यवस्थित रूप से योजना बनानी होगी।

सोनिया गांधी के बयान का समर्थन करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता शरद पवार ने कहा कि देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए।

वहीँ तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि विपक्ष के नेताओं का एक कोर ग्रुप बनना चाहिए, जो कि साझा कार्यक्रमों व आंदोलनों पर निर्णय करे। उन्होंने विपक्षी नेताओं से कहा वे अपने मतभेद अलग रखें और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को परास्त करने के लिए एकजुट होकर काम करें।

इस बैठक के बाद विपक्ष की तरफ से जारी किये गए साझा बयान में कहा गया है कि सभी 19 दल 20 से 30 सितंबर तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने समेत 11 मांगें की गईं। इनमें जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाने,जम्मू-कश्मीर कैडर सहित पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने, राज्य में जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिवार्य गारंटी दिए जाने और भीमा कोरेगांव मामले और सीएए का विरोध करने वाले राजनीतिक बंदियों को रिहा करना शामिल है।

साझा बयान में संसद के मानसून सत्र में पेगासस मामले में चर्चा से इनकार करने, किसान विरोधी कानूनों को रद्द नहीं करने, कोविड-19 प्रबंधन में नाकामी और बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार की निंदा की गई।

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TeamDigital