एक देश – एक चुनाव: कैसे बनेगी बात? बीजेपी नेताओ ने साधी चुप्पी
नई दिल्ली (राजा ज़ैद)। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अचानक ही एक देश एक चुनाव के लिए एक कमेटी का गठन करके भले ही अपने इरादे जता दिए हों लेकिन क्या सच में एक देश एक चुनाव का फॉर्मूला इस देश में कारगर साबित होगा या यह भी सिर्फ दिखाने मात्र के लिए मोदी सरकार का एक नया एजेंडा है।
मोदी सरकार की मंशा है कि देशभर में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों, लेकिन यह कैसे सम्भव होगा जब खुद बीजेपी पर कई राज्य सरकारों को समय से पहले गिराने के गंभीर आरोप हैं।
मान लिया जाए कि संविधान में संशोधन करके एक देश एक चुनाव का फॉर्मूला लागू हो गया तो उन राज्य सरकारों का क्या होगा जो हाल ही में एक या दो साल के अंदर चुनकर आई हैं। सबसे अहम् सवाल यही है कि क्या एक देश एक चुनाव के फॉर्मूले के तहत चुनी हुई राज्य सरकारो को भंग कर उन्हें भी फिर से चुनाव में जाने के लिए मजबूर किया जायेगा?
दूसरा अहम् सवाल यह भी है कि अगर एक देश एक चुनाव के फॉर्मूले पर देश के सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव करा भी दिए गए तो इस बात की क्या गारंटी है कि विधायकों की खरीद फरोख्त के कारण पांच साल से पहले किसी राज्य की सरकार नहीं गिरेगी ?
अगर किसी राज्य की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर जाती है तो क्या उस राज्य में मध्यावधि चुनाव नहीं कराये जायेंगे ? अगर मध्यावधि चुनाव कराये गए तो फिर एक देश एक चुनाव का फॉर्मूला कैसे लागू होगा ?
तीसरा एक और सवाल भी है। क्या किसी विधायक या सांसद के इस्तीफा देने या मृत्यु होने के बाद उसकी सीट नया चुनाव होने तक रिक्त पड़ी रहेगी ? ऐसी विधानसभा या लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराये जाने की स्थिति में एक देश एक चुनाव का फॉर्मूला कैसे फिट बैठेगा ?
दरअसल, एक देश एक चुनाव का फॉर्मूला लेकर आगे बढ़ी मोदी सरकार ने कमेटी तो गठित कर दी है लेकिन इस फॉर्मूले को लेकर उठ रहे सवालो के जबाव अभी तक सरकार के किसी मंत्री या चुनाव आयोग के किसी सदस्य ने सार्वजनिक नहीं किये हैं।
जानकारों की माने तो एक देश एक चुनाव का फॉर्मूला सुनने में तो अच्छा लगता है लेकिन क्या 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित राज्यों वाले देश भारत में यह सफल होगा ? फ़िलहाल सरकार की तरफ से इस पर ख़ामोशी है।
न्यूज़ चैनलों की डिबेट में भाग लेने आ रहे सत्तारूढ़ बीजेपी के प्रवक्ता भी एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर कुछ खास बोलने से बचते दिख रहे हैं। ज़ाहिर है कि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्लान की पूरी जानकारी अभी किसी को नहीं है।