इस राज्य ने नहीं मनाया नए साल का जश्न, 31 दिसंबर को भी जारी रहे प्रदर्शन

इस राज्य ने नहीं मनाया नए साल का जश्न, 31 दिसंबर को भी जारी रहे प्रदर्शन

नई दिल्ली। 31 दिसंबर की रात,जब दुनियाभर के लोग नए साल के आगाज का जश्न मना रहे थे तब भारत का एक राज्य ऐसा भी था जहाँ लोग नए साल के जश्न से दूर नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

पूर्वोत्तर राज्य असम में इस बार नए साल की धमक सुनाई नहीं दी। राज्यभर में लोगों ने नया साल मनाने से परहेज रखा, वहीँ नागरिकता कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन 31 दिसंबर और एक जनवरी को भी जारी रहे।

बुधवार यानि एक दिसंबर को गुवाहाटी के कॉटन विश्वविधालय के छात्रों ने प्रदर्शन जारी रखते हुए नए साल का जश्न मनाने से परहेज किया। वहीँ गुवाहाटी क्लब में भी इस बार नए साल की पूर्व संध्या पर सन्नाटा पसरा था। यहाँ पिछले साल जैसा जश्न का माहौल नहीं था।

इतना ही नहीं गुवाहाटी के होटलो में भी इस बार नए साल की वह रौनक नदारद रही जो पिछले साल दिखी थी। माना जा रहा है कि नागरिकता कानून को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर सिर्फ असम के छात्र और सामाजिक संगठन ही नहीं बल्कि आम आदमी भी पूरी तरह गंभीर है।

गौरतलब है कि असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए थे। संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के साथ ही असम में विरोध प्रदर्शनों ने जोर पकड़ लिया और ये प्रदर्शन आज भी जारी है।

इन विरोध प्रदर्शनों में आल असम स्टूडेंट यूनियन के अलावा कई अन्य छात्र संगठन तथा सामाजिक संगठन शामिल हैं। इसके अलावा असम की कई जानी मानी हस्तियों ने भी नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का समर्थन किया है।

असम की राजधानी गुवाहाटी में पिछले दो सप्ताह से प्रदर्शन लगातार जारी हैं और प्रदर्शनकारी नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वहीँ केंद्र सरकार की तरफ से अब इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि सरकार नागरिकता कानून पर एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे हालातो में यह कयास लगना मुश्किल है कि आखिर असम में प्रदर्शनों का अंत कब होगा।

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TeamDigital