शीतकालीन सत्र से पहले मोदी सरकार का बड़ा दांव: ED, CBI चीफ का कार्यकाल बढाकर किया 5 साल
![शीतकालीन सत्र से पहले मोदी सरकार का बड़ा दांव: ED, CBI चीफ का कार्यकाल बढाकर किया 5 साल](https://i0.wp.com/lokbharat.com/wp-content/uploads/2021/11/pmo-E857366553.jpg?fit=1024%2C688&ssl=1)
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले मोदी सरकार ने बड़ा दांव खेला है। सरकार ने दो अध्यादेश लाकर ईडी और सीबीआई के निदेशकों के कार्यकाल को दो साल से बढाकर पांच साल कर दिया है।
रविवार को मोदी सरकार की तरफ से लाये गए दो अध्यादेशों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इन अध्यादेशों के मुताबिक, ईडी और सीबीआई निदेशकों का दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद तीन साल के लिए कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है।
बता दें कि इस समय ईडी का नेतृत्व आईआरएस संजय के. मिश्रा कर रहे हैं, जबकि आईपीएस सुबोध जायसवाल मौजूदा सीबीआई प्रमुख हैं। संजय मिश्रा का दो वर्ष का कार्यकाल 17 नवंबर को खत्म हो रहा है।
मोदी सरकार का यह फैसला ऐसे समय आया है जब विपक्ष पिछले पिछले काफी समय से केंद्र सरकार पर ईडी और सीबीआई सहित सरकारी एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगाता आ रहा है।
नए अध्यादेश के अनुसार, कार्यकाल में दो साल पूरे होने के बाद अगर सेवा विस्तार को चयन समिति द्वारा मंजूर किया जाता है, तो ऐसी स्थिति कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 में संशोधन करने वाले एक अध्यादेश के माध्यम से यह परिवर्तन प्रभावी हुआ था। इसी तरह के एक अन्य अध्यादेश में केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में संशोधन करते हुए ईडी प्रमुख के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इसके अंतर्गत कार्यकाल को एक साल में एक बार ही बढ़ाया जा सकेगा।
वहीँ माना जा रहा है कि मोदी सरकार के इस कदम को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष चर्चा की मांग कर सकता है। विपक्ष सरकार से पूछना चाहेगा कि आखिर ऐसी क्या आवश्यता थी कि ईडी और सीबीआई प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाये जाने के लिए सरकार को चुपचुप तरीके से अध्यादेश लाने को मजबूर होना पड़ा।