नप सकते हैं बर्बरता करने वाले पुलिसकर्मी, माइनोरिटी कमीशन ने CJI को लिखा पत्र
नई दिल्ली। नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाही में सैकड़ो लोग घायल हुए तथा कुछ लोगों की मौत भी हुई। अल्पसंख्यक आयोग ने इस मामले को उठाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है।
पत्र में अल्पसंख्यक आयोग ने कहा कि पुलिस बर्बरता के मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। बर्बरता की कार्रवाहियों के लिए जो भी दोषी है उसके खिलाफ कड़ी के कड़ी कार्रवाई भी होनी चाहिए।
दस जनवरी को सीजेआई को लिखे पत्र में अल्पसंख्यक आयोग ने 87 घटनाओं का हवाला सामने रखा है। इनमे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और असम शामिल हैं।
पत्र में कहा गया है कि किसी भी कानून के खिलाफ देश की जनता को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना और धरना देने का अधिकार है। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर जिस तरह की बर्बरता दिखाई, वह अनावश्यक और दिल दहला देने वाली है।
पत्र में सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुरोध किया गया है कि वे इस मामले में स्व संज्ञान लेते हुए आगे की कार्रवाही सुनिश्चित करें। इतना ही नहीं पत्र में बर्बरता के लिए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही करने की मांग भी की गई है।
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अलावा उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर, मेरठ, कानपुर के अलावा कर्नाटक के बेंगलुरु और असम के कुछ इलाको में पुलिस बर्बरता की बातें सामने आयीं हैं।
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई पुलिस बर्बरता की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने काम शुरू कर दिया है।
मंगलवार को एक डीएसपी लेवल के अधिकारी की अगुवाई में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की चार सदस्यीय टीम जामिया यूनिवर्सिटी पहुंची। ये टीम अगले चार दिनों तक छात्रों से बात करेगी और उनकी राय जानेगी। छात्रों ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की है और जबरन एफआईआर दर्ज की है।