पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा ‘जब संसद ख़राब कानून बनाती है तो उसका अंत अदालत में होता है’

पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा ‘जब संसद ख़राब कानून बनाती है तो उसका अंत अदालत में होता है’

नई दिल्ली। नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने बड़ा बयान दिया है। देश के पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा कि जब संसद ख़राब कानून बनाती है तो उसका अंत अदालत में होता है। अदालत में न्यायाधीश वह करते हैं जो संसद में सांसदों को करना चाहिए था।

संसद 2020 नाम से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि ‘अच्छे कानून तब बनते हैं, जब संसद और विधानसभाएं तत्कालीन शासक के मत को प्रोत्साहित नहीं करतीं। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि संसद और विधानसभा सत्र अब रस्म अदायगी भर रह गए हैं।

अंसारी ने कहा, ”जब हम खराब कानून बनाते हैं तो देर सवेर उनका अंत किसी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में होता है। जो काम संसद को करना चाहिए, वह न्यायाधीशों द्वारा होता है।”

उन्होंने कहा कि इस खामी को दूर किया जाना चाहिए। राज्यसभा के पूर्व सभापति ने कहा कि संसद पहले दस दिनों के लिए बैठती थी, अब साल में 60 बैठकें होती हैं लेकिन अन्य देशों में विधायिका 120 से 150 दिनों तक बैठती है।

हामिद अंसारी ने कहा कि कोई भी कानून या नियम बनाने के लिए चर्चा के लिए समय की जरूरत होती है लेकिन संसद और विधानसभाओं के सत्र आज अधिक रस्मी हो गए हैं, जहां पर आप मिलते हैं, कुछ चीजें कहते हैं, कुछ दिनों तक साथ रहते हैं और चले जाते हैं।

नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में सहमति और लोगों की इच्छाओं की अभिव्यक्ति जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में परामर्श प्रक्रिया निष्पक्ष और खुली होनी चाहिए।

गौरतलब है नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में कई जगह विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इस बीच कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने नागरिकता कानून पर कहा कि राज्यों की सरकारें संसद द्वारा पास किये गए किसी कानून को लागू करने से इंकार नहीं कर सकतीं, यह संविधान के विरुद्ध होगा।

वहीँ अब सभी की नज़रें 22 जनवरी पर टिकी हैं। नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अब तक दायर 60 से अधिक याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट 22 फरवरी को सुनवाई करेगा। जानकारों की माने तो नागरिकता कानून में यदि कोई बदलाव हो सकता है तो वह अब सुप्रीमकोर्ट के हाथ में ही है।

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