तीनो कृषि कानून वापस लेने पर अड़े किसान, सरकार का प्रस्ताव अस्वीकार

तीनो कृषि कानून वापस लेने पर अड़े किसान, सरकार का प्रस्ताव अस्वीकार

नई दिल्ली। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसान संगठनों ने सरकार की तरफ भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव को आज अस्वीकार कर दिया है। किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिए जाने की अपनी मांग को दोहराया है।

सरकार द्वारा भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए किसान संगठनों ने कहा कि हम कृषि कानूनों में संशोधन की मांग नहीं कर रहे बल्कि इन्हे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

इससे पहले आज सरकार की तरफ किसान संगठनों को भेजी गई बातचीत के निमंत्रण की चिट्ठी पर सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनो की बैठक हुई। बैठक में किसान संगठनों के नेताओं ने सरकार की तरफ से भेजे गए बातचीत के निमंत्रण को लेकर चर्चा की।

हम बदलाव की नहीं कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कर रहे हैं:

बैठक के बाद किसान संगठनों ने कहा कि हम तीनों कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात नहीं कर रहे बल्कि इन कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं। किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जो प्रस्ताव सरकार से आया है उसमें कुछ भी साफ नहीं और स्पष्ट नहीं है।

बातचीत के नाम पर गुमराह करने की कोशिश कर रही सरकार:

किसान नेताओं ने कहा कि सरकार बातचीत के नाम पर किसानो को गुमराह करने की कोशिश न करे। सरकार की ओर से आया प्रस्ताव इतना खोखला और हास्यास्पद है कि उस पर उत्तर देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं लेकिन सरकार ठोस प्रस्ताव लिखित में भेजे और खुले मन से बातचीत के लिए बुलाए।

स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा कि यूनाइटेड फार्मर्स फ्रंट ने आज सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि सरकार को यूनाइटेड फार्मर्स फ्रंट द्वारा पहले लिखे गए पत्र पर सवाल नहीं उठाना चाहिए क्योंकि यह सर्वसम्मत से लिया गया फैसला था। सरकार का नई चिट्ठी किसान संगठनों को बदनाम करने की एक नई कोशिश है।

उन्होंने आगे कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वे उन निरर्थक संशोधनों को न दोहराएं जिन्हें हमने अस्वीकार कर दिया है लेकिन लिखित रूप में एक ठोस प्रस्ताव लेकर आएं ताकि इसे एक एजेंडा बनाया जा सके और बातचीत की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जा सके।

किसान आंदोलन को हलके में ले रही सरकार:

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा कि हम सरकार से फलदायी बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने का अनुरोध करते हैं। यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट भी कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को निलंबित कर दिया जाए। इससे वार्ता को बेहतर माहौल मिलेगा।

भारतीय किसान यूनियन के युधवीर सिंह ने कहा कि जिस तरह से केंद्र बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है, इससे स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करके विरोध करने वाले किसानों का मनोबल तोड़ना चाहती है। सरकार किसानो के मुद्दों को हल्के में ले रही है।

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TeamDigital