कांग्रेस छोड़ेंगे कैप्टेन, कमलनाथ और अंबिका सोनी पर कैप्टेन को मनाने की ज़िम्मेदारी
नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने एलान किया है कि वे जल्द कांग्रेस छोड़ देंगे हालांकि उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की संभावनाओं वाली खबरों को ख़ारिज कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका बीजेपी में शमिल होने का कोई इरादा नहीं है।
एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह जल्द ही कांग्रेस छोड़ने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अपमान सहन नहीं होता। कैप्टन ने उन अटकलों पर मुहर लगा दी जो 18 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए मजबूर किए जाने के बाद लगाई जा रही थीं।
गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली पहुंचे कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस मुलाक़ात के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि कैप्टेन जल्द ही बीजेपी में शामिल हो जायेंगे। हालांकि कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बीजेपी पर जाने के सवाल में उन्होंने इतना ही कहा कि उनका बीजेपी में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।
वहीँ कांग्रेस सूत्रों की माने तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह को मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री अम्बिका सोनी को कैप्टेन अमरिंदर सिंह को मनाने के लिए बातचीत करने के लिए लगा दिया है।
सूत्रों की माने तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह के करीबी दोस्त के तौर पर कमलनाथ ने कैप्टेन अमरिंदर सिंह से फोन पर बात कर उन्हें कांग्रेस में बने रहने और राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी के लिए ज़िम्मेदारी संभालने की बात कही है। फिलहाल कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन उनक कहना है कि जिस तरह से उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा, यह उनके लिए बेहद अपमान की बात है।
अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी जताई नाराज़गी:
नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने को लेकर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि अब बहुत हो गया है। सीएम की सत्ता को कमजोर करने की कोशिशों पर रोक लगाएं।
उन्होंने सिद्धू की नाराजगी को लेकर भी ट्वीट के जरिए अपनी बातें कही है। जाखड़ ने कहा है कि एजी और डीजीपी के चयन पर लगाए जा रहे आरोप वास्तव में उनकी ईमानदारी/क्षमताओं पर सवाल उठा रहे हैं। यह कदम पीछे खींचने का समय है, जिससे हवा (सियासी रुख) को साफ किया जा सके।