बीजेपी के जबाव के बाद खतरे के निशान पर पहुंचा शिवसेना- बीजेपी गठबंधन

बीजेपी के जबाव के बाद खतरे के निशान पर पहुंचा शिवसेना- बीजेपी गठबंधन

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर 50-50 फॉर्मूले को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच मामला और उलझता जा रहा है। शिवसेना सांसद संजय राउत के बयान के बाद बीजेपी की तरफ से जबाव आया है।

शिवसेना ने कहा था कि बीजेपी उसे मजबूर न करे और गठबंधन धर्म का पालन करते हुए 50-50 फॉर्मूले के तहत ढाई साल शिवसेना के मुख्यमंत्री को स्वीकार करे। इसके जबाव में महाराष्ट्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के 50-50 फॉर्मूले की मांग को ख़ारिज कर दिया।

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि”भाजपा के साथ 15 निर्दलीय विधायक खड़े हैं। ये निर्दलीय भाजपा के ही नेता रहे हैं, जो गठबंधन आदि वजहों से टिकट न मिलने के कारण निर्दल लड़कर जीते हैं। उन्होंने कहा कि 2014 की तरह ही पार्टी के पास अब भी 122 विधायकों का समर्थन है।”

बीजेपी प्रवक्ता के बयान से साफ़ हो गया है कि वह मुख्यमंत्री पद पर किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। बीजेपी प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा का था और भाजपा का ही रहेगा। इसे लेकर पार्टी का रुख साफ है और शिवसेना भी इससे अवगत है।

भाजपा प्रवक्ता ने 50-50 फॉर्मूले से जुड़े सवाल पर कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस 50-50 फॉर्मूले की बात शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कह रहे हैं, उसमें बहुत-सी बातें हो सकतीं हैं।

उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान 50-50 प्रतिशत सीटों पर लड़ने की बात भी तो हो सकती है। शालिनी ने कहा कि 50-50 फॉर्मूले का अर्थ ढाई-ढाई साल का मुख्यमंत्री नहीं समझा जाना चाहिए।

क्या कहा था संजय राउत ने:

गौरतलब है कि बीजेपी से पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के सवाल पर इंकार नहीं किया, बल्कि कहा कि राजनीति में विकल्प खुले रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में सब संभव है, विकल्प हमेशा खुले रहते हैं जैसे अभी आपको हरियाणा में देखने को मिला है।

उन्होंने कहा कि हमें ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद क्यों नहीं मिलना चाहिए, हम सभी राम में विश्वास रखते हैं तो राम की तरह प्राण जाए पर वचन ना जाए की नीति अपनानी चाहिए।

शिवसेना नेता ने कहा कि दो राज्यों में चुनाव थे, हरियाणा में बीजेपी ने बिना बहुमत के ही सरकार बना ली है। उन्होंने ऐसे संगठन से हाथ मिलाया है, जो उनके खिलाफ था। उन्होंने कहा कि अब अगर सरकार बनने में देरी हो रही है, तो हमारी गलती नहीं है।

खतरे के निशान पर पहुंचा गठबंधन :

मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच बढ़ती तकरार के बीच गठबंधन खतरे के निशान तक पहुँच गया है। शिवसेना किसी हाल में ढाई साल बीजेपी और ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री चाहती है और वह इससे पीछे हटने से साफ़ इंकार कर चुकी है। वहीँ अब बीजेपी की तरफ से आये बयान से साफ़ है कि इस मामले में बीजेपी भी कोई समझौता करने को तैयार नहीं है।

फिलहाल देखना है कि महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन किस तरह सम्भव होता है। क्या बीजेपी -शिवसेना कोई रास्ता निकाल पाएंगे या शिवसेना एनसीपी के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी।

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TeamDigital