पेलेट गन : 317 घायलों में से 50 प्रतिशत की आंख में लगी गोली
नई दिल्ली । आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर घाटी में शुरू हुई हिंसक झड़पो में करीब 317 लोग घायल हुए । सीआरपीऍफ़ की माने तो पेलेटगन से निकली गोलियों से नुकसान नही पहुँचता लेकिन घाटी में पेलेटगन की गोलियों से ज़ख़्मी हुए लोगों की हालत कुछ और ही सच्चाई बयां करती हैं।
कश्मीरी लोगों की भीड़ को इधर-उधर करने के लिए सीआरपीऍफ़ ने कुल 2,102 गोलियां (पेलेट गन से) चलाई हैं। इनसे कुल 317 लोग घायल हुए और उनमें से 50 प्रतिशत लोगों की आंखों में जाकर इस गोली के छर्रे लगे हैं। घाटी के अस्पतालों में सबसे ज़्यादा तादाद पेलेटगन से घायल हुए लोगों की है ।चिकित्सको के मुताबिक इनमें से कई लोगों की आंख की रोशनी भी जा सकती है।
एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर कश्मीर में ही पेलेटगन का इस्तेमाल क्यों हुआ जबकि कश्मीर से ज़्यादा हिंसक घटनाएं देश के अन्य कई हिस्सों में भी पहले होती रही हैं । वहां पेलेटगन का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया । अभी हाल में हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा की आग कश्मीर से कहीं ज़्यादा बड़ी थी और वहां हालात बेकाबू होने के बाद सेना को बुलाना पड़ा था । सेना की मौजूदगी के बावजूद वहां संयम बरता गया ।
सीआरपीऍफ़ की माने तो तनाव को शांत करने के लिए सीआरपीऍफ़पेलेट गन के अलावा रबर बुलेट, स्टेन ग्रेनेड, मल्टी बटन शैल, पेपर बॉल्स का भी इस्तेमाल कर रही है। ये पत्थर फेंक रहे लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना हटाने के लिए काम आते हैं। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि कभी-कभी मामूली सा दिखने वाला पत्थर भी काफी घातक साबित हो जाता है। कश्मीर के लोगों द्वारा फेंके जा रहे पत्थरों से अबतक सीआरपीऍफ़ के 1,099 लोग घायल हो चुके हैं।