किताब का दावा : महात्मा गांधी की हत्या भी लव जिहाद का परिणाम
नई दिल्ली । एक किताब में दावा किया गया है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या भी एक जिहाद का परिणाम थी । किताब में लिखा है, ” एक मायने में महात्मा गांधी की हत्या लव जिहाद का एक जोरदार उदाहरण था। गांधी ने नफरत और खून खराबे को रोकने के लिए जान दी।”
लेखक मकरंद आर परांजपे ने अपनी किताब The Death and Afterlife of Mahatma Gandhi में बापू को ‘तर्कसंगत तौर पर आधुनिकतम समय का सबसे महान हिंदू’ करार दिया है। गांधी जी ने अपनी जान क्यों दी, उनकी मौत के क्या मायने हैं, इन सब सवालों के जवाब परांजपे ने इस किताब में ढूंढने की कोशिश की है।
गोडसे ने भले ही गोली चलाई और उसके इस कृत्य से भले ही कई हिंदू राष्ट्रवादी खुश भी हुए, लेकिन लेखक को लगता है कि अन्य बहुत सारे लोग इस अपराध में अपनी जवाबदेही से पूरी तरह बच नहीं सकते। परांजपे को इस बात का भरोसा है कि गांधी की हत्या इस वजह से हुई क्योंकि हिंदू राष्ट्रवादियों को लगता था कि वे उनके ‘हिंदू राष्ट्र’ कायम करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा हैं। ये राष्ट्रवादी यह भी मानते थे कि इस कृत्य से हिंदू एकजुट होंगे।
किताब के मुताबिक, यह हत्या आम हिंदू परंपरा के बिलकुल खिलाफ थी। यह पूरी तरह ‘कट्टरपंथी गैर हिंदू कृत्य’ था। गांधी सिर्फ राष्ट्रपिता ही नहीं, बल्कि एक पवित्र शख्स थे। किताब के मुताबिक, गांधी का खून बहने से ”यह देश और यहां रहने वाले बाशिंदे बुरी तरह प्रदूषित हुए।”
लेखक काफी बारीकियों में जाते हैं और यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि गांधी की आलोचना करने वालों के वे सभी आरोप गलत थे, जिसके मुताबिक, वे मुसलमानों की तरफदारी करते थे। ये भी आरोप गलत थे कि गांधी नए बने पाकिस्तान में हुई घटनाओं की हकीकत का सामना करने में असमर्थ थे।
परांजपे का कहना है, ”गांधीजी ने मुसलमानों की तरफदारी की या उनकी तुष्टिकरण में लगे थे, ऐसे झूठ पैदा किए गए और उस बूढ़े शख्स को मारने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल हुए।”
बिहार और बंगाल में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को ठंडा करने के बाद गांधी के दिल्ली में बिताए गए आखिरी 133 दिन सिर्फ यही साबित करते हैं कि नाथूराम का बचाव ”न केवल झूठ और अर्धसत्यों का पुलिंदा था, बल्कि उसके आरोपों का एकमात्र मकसद उस हरकत को न्यायसंगत करार देना था, जिसे किसी तरीके से सही साबित नहीं किया जा सकता।”
आखिर में गांधी की हत्या हिंदू महासभा या इसके समर्थकों के उन मंसूबों को पूरा करने की कोशिश दिखती है, जिसमें भारत की आजादी का इस्तेमाल करके उसे हिंदू राष्ट्र में तब्दील करने के बारे में सोचा गया। किताब में लिखा है, ” एक मायने में महात्मा गांधी की हत्या लव जिहाद का एक जोरदार उदाहरण था। गांधी ने नफरत और खून खराबे को रोकने के लिए जान दी।”