एक फतवा जिसने ब्रिटेन को घुटने टेकने पर विवश कर दिया था
तेहरान । ईरान के प्रसिद्ध धर्मगुरु मीरज़ा शीराज़ी ने भी एक ऐसा फतवा दिया था जो ईरान ही नहीं इस्लामी इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया। आजकल ईरान में उसी फतवे की एक सौ सातवीं सालगिरह मनायी जा रही है।
उन्नीसवीं सदी के आरंभ में ईरान, रूस और युरोप के बीच खींचतान का अखाड़ा बन चुका था और इस दौरान जब तत्कालीन ईरानी नरेश, नासेरुद्दीन शाह क़ाजार तीसरी बार सन 1890 में युरोप की यात्रा पर गये तो वहां मेजर टालबोट से उनकी वार्ता हुई और इस ईरानी राजा ने पूरे ईरान में तंबाकू के व्यापार का अधिकार ब्रिटेन को दे दिया।
नासिरुद्दीन शाह क़ाजार ने 50 वर्ष की अवधि के लिए ईरान में तंबाकू की खेती, सिगरेट आदि जैसे तंबाकू के उत्पादों की पैदावार और उसके व्यापार का लाइसेंस एक ब्रिटिश कंपनी को दे दिया था जिसके बाद ईरानियों को तंबाकू की खेती और कारोबार से वंचित कर दिया गया।
यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे ईरान में फैल गयी और 23 फरवरी सन 1891 को ईरानी व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल राजा से मिला और इस समझौता पर आपत्ति की किंतु ब्रिटिश सरकार से राजा और उनके दरबार को इतना धन मिल चुका था कि अब इस समझौते को निरस्त करने का सवाल ही नहीं था। तत्कालीन नरेश नासेरुद्दीन क़ाजार के अधिकारियों ने खुलकर कह दिया था कि इस समझौते को निरस्त किये जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
विरोध प्रदर्शन हुए, गिरफ्तारियां हुईं लेकिन हर प्रकार के विरोध को कुचल दिया था और ईरान में तंबाकू के पूरे व्यापार पर एक ब्रिटिश कंपनी का अधिकार हो गया। ब्रिटिश कंपनी ने राजधानी तेहरान में भव्य कार्यालय खोला और घोषणा कर दी कि पूरे ईरान में जो भी तंबाकू बेचे वह केवल इसी कंपनी को बेचे।
ईरान में तंबाकू का इस्तेमाल आम था, व्यापारियों और विरोधियों का रोष बढ़ता गया, कई शहरों में झड़पें हुईं यहां तक कि राजा भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की सोचने लगा लेकिन ब्रिटिश सरकार के दबाव के आगे किसी की एक न चली।
ऐसे में प्रतिष्ठित धर्मगुरू आयतुल्लाह मिर्ज़ा हसन शीराज़ी ने अचानक यह एतिहासिक फतवा दिया कि आज से तबांबू का हर तरह से प्रयोग हराम है।
इस फतवे के बाद पूरे ईरान में दुकानदारों ने तंबाकू जला दिये और सारे लोगों ने तंबाकू का इस्तेमाल पूरी तरह से छोड़ दिया। यहां तक कि कहा जाता है दूसरे दिन सुबह जब खुद राजा को अपना हुक़्क़ा तैयार नहीं मिला तो उसने पूछा तो नौकरानी ने कहा कि आप ने सुना नहीं मीर्ज़ा शीराज़ी ने तंबाकू को हराम कर दिया है।
ब्रिटिश कंपनी का कारोबार ठप्प हो गया और उसे समझौता खत्म करके ईरान से जाना पड़ा। जो काम धमकियां और विरोध प्रदर्शन न कर पाए वह काम एक फतवे ने कर दिया।
धर्म , धर्मगुरु और फतवे की इस प्रकार की ताक़त के बारे में ब्रिटेन के तत्कालीन विदेशमंत्री गोल्डस्टोन ने कह था कि “जबतक कुरआन पढ़ा जाता रहेगा, मुहम्मद(स) का नाम ज़बानों पर जारी रहेगा और हज होता रहेगा, ईसाईयत बहुत बड़े खतरे में घिरी रहेगी। ” वैसे गोल्डस्टोन का आशय निश्चित रूप से साम्राज्यवादी शक्तियां हैं।