अभी और बढ़ेगी गरीबी, 2021 तक गरीबी की चपेट में आ सकते हैं करोड़ों लोग: विश्व बैंक
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नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के कारण दुनियाभर के देशो में किये गए लॉकडाउन के प्रभाव से न सिर्फ कई देशो की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है वहीँ इसका सीधा असर मध्य और निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों पर भी पड़ा है।
विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में इस पर चिंता ज़ाहिर करते हुए आगाह किया है कि आने वाले समय में करोडो परिवार गरीबी की चपेट में आ सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण 2020 के अंत तक करीब 88 करोड़ से 1 अरब 15 करोड़ लोगों के गरीब होने के संकेत हैं।
गरीबी बढ़ने का सिलसिला यहीं नहीं थमेगा और यह आंकड़ा 2021 तक 1.5 अरब तक पहुंच जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के मंदी की चपेट में आने से करीब 1.4 फीसद जनसंख्या गरीबी के जाल में उलझ सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी का बड़ा असर विकासशील देशो पर होगा। रिपोर्ट में 140 रुपए प्रतिदिन या चार-पांच हजार रुपए प्रतिमाह से कम आय स्तर पर जीवन बिताने वालों की स्थिति को ‘अत्यंत गरीब’ माना गया है।
वहीँ जार्जीवा ने आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक आम बैठक के दौरान बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंधन निदेशक किस्टलिना जार्जीवा ने कहा कि भारत की प्राथमिकता सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा करने, अच्छी प्रकार से लक्षित सहायता देने और छोटे तथा मझोले उद्योगो की रक्षा करने की होनी चाहिए, ताकि वे एक देश के रूप में उनकी कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में हार न हो।
उन्होंने कहा कि जब तक हमारे पास स्वास्थ्य संकट से निपटने का एक टिकाऊ रास्ता नहीं है, हमें कठिनाइयों, अनिश्चितता और असमान सुधार का सामना करना पड़ेगा। जार्जीवा ने कहा, ‘‘इसलिए लोगों को बचाने और उनकी सेहत पर ध्यान देने की प्राथमिकता होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने अपनी क्षमता के अनुरूप उपाय किए हैं, दो प्रतिशत राजकोषीय उपाय और गारंटी के रूप में चार प्रतिशत राहत, लेकिन प्रत्यक्ष राजकोषीय उपाय नहीं किए गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे मदद मिलती है, लेकिन जब आप विकसित अर्थव्यवस्थाओं की क्षमताओं को देखते हैं, या कुछ अन्य उभरते बाजारों के उपायों को देखते हैं, तो यह कुछ हद तक कम है।