विवादों में घिरी पतंजलि की कोरोना की दवा, आयुर्वेद विभाग ने भेजा नोटिस

विवादों में घिरी पतंजलि की कोरोना की दवा, आयुर्वेद विभाग ने भेजा नोटिस

नई दिल्ली। कल कोरोना की दवा बनाने का दावा करते हुए पतंजलि ने जिस दवा को लांच किया था, वह अब विवादों के घेरे में आ गई है। पतंजलि द्वारा कल दावा किया गया था कि कोरोना की दवा बनाने के लिए सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा किया गया है।

कंपनी ने यह भी दावा किया था कि उसकी दवा कोई टेस्ट किया जा चूका है और इस दवा के ज़रिये कोरोना के मरीज तीन से सात दिनों में पूरी तरह ठीक हो रहे हैं। हालांकि पतंजलि का यह दावा बहुत देर नहीं टिक सका और शाम होते होते आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की कोरोना की दवा के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया।

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि के दावों पर भी सवाल किये। इतना ही नहीं आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कहा कि पतंजलि ने अभी तक उनके दो चरण के क्लिनिकल ​​परीक्षण का कोई विवरण नहीं दिया है। आयुष मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि की कथित दवा, औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून, 1954 के तहत विनियमित है।

अब पतंजलि के कोरोना की दवा बनाने के दावे पर केंद्रीय आयुष मंत्रालय के रिपोर्ट मांगने के बाद उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेद विभाग ने पतंजलि के दावों को गलत बताते हुए नोटिस जारी किया है।

उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस ऑफिसर वाई.एस. रावत ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि पतंजलि के कोरोना की दवा बनाने के दावे पर केंद्रीय आयुष मंत्रालय के रिपोर्ट मांगने के बाद उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेद विभाग ने पतंजलि के दावों को गलत बताते हुए नोटिस जारी किया है।

उन्होंने कहा कि पतंजलि को कोरोना की दवा बनाने का कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। 10जून को पतंजलि ने 3प्रोडक्ट्स इम्युनिटी बूस्टर,खांसी और बुखार के प्रोडक्ट के लिए आवेदन दिया था।12जून को अप्रूवल दिया गया पर उसमें कहीं भी कोरोना इलाज की दवा का जिक्र नहीं था।

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