कड़ाके की ठंड, बारिश और जलभराव के बावजूद किसान आंदोलन जारी, तीन किसानो की मौत

कड़ाके की ठंड, बारिश और जलभराव के बावजूद किसान आंदोलन जारी, तीन किसानो की मौत

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन आज 37वे दिन भी जारी है। कड़ाके की ठंड के साथ बारिश ने किसानो की मुश्किलें ज़रूर बढ़ा दी हैं लेकिन इसके बावजूद किसानो के हौसले बुलंद हैं।

इस बीच सर्दी से अलग अलग स्थानो पर किसान आंदोलन में शामिल तीन किसानो की मौत की खबर है। आज सुबह टीकरी बॉर्डर पर एक किसान 60 वर्षीय जगबीर की मौत सर्दी लगने से हुई। जींद जिले के गांव इट्टल कला के रहने वाला था।

भारतीय किसान यूनियन (घासीराम नैन) के अध्यक्ष चौधरी जोगिंदर नैन ने बताया कि सुबह लोगों ने चाय पीने के लिए बुलाया तो उन्होंने बताया कि बेचैनी हो रही है। हालत ज्यादा खराब होने लगी, तो साथी प्रदर्शनकारी उन्हें बहादुरगढ़ अस्पताल लेकर गए, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

इसके अलावा सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल दो और किसानों की मौत हो गई है। मृतक किसानो की पहचान सोनीपत के गांव गंगाना निवासी कुलबीर सिंह व पंजाब के जिला संगरूर के गांव लिदवा निवासी शमशेर सिंह के रूप में हुई है।

धरना स्थल पर बारिश से जलभराव:

आज सुबह हुई बारिश से बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में जलभराव हुआ। एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “बारिश से लंगर, टेंट में पानी चला गया और कपड़े भीग गए। लेकिन फिर भी किसानों के हौसले बुलंद हैं।”

बारिश के बाद तापमान में और गिरावट आई है। गाज़ीपुर बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “तिरपाल और जो कुछ भी हम लेकर आए हैं उसी से ठंड और बारिश से अपना बचाव कर रहे हैं।”

कड़ाके की ठंड के बावजूद किसानो के हौसले बुलंद:

कड़ाके की ठंड और जलभराव के बावजूद आंदोलनकारी किसानो के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। दूरदराज के इलाको से आंदोलन में शामिल होने के लिए किसानो का आना अभी भी जारी है। टिकरी बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “ठंड से बचने के लिए आग का सहारा ले रहे हैं। जब तक कानून वापस नहीं लिए जाएंगे हम वापस नहीं जाएंगे।”

कल फिर होगी सरकार के साथ बैठक:

कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी गारंटी के लिए आंदोलन कर रहे किसानो और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत कल यानि 4 जनवरी को होनी है। बातचीत से पहले किसानो ने साफ़ कर दिया है कि वे आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।

इससे पहले शनिवार को किसान संयुक्त समिति की प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि हमने सरकार को पहले दिन ही बता दिया था कि हम इन तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराए बिना यहां से हटने वाले नहीं है। हम आरपार ली लड़ाई के लिए तैयार हैं।

किसान नेताओं ने कहा कि अब सरकार के पास दो ही रास्ते हैं, या तो वह जल्द से जल्द इस बिन मांगी सौगात को वापस ले और किसानों को एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी दे, या फिर किसानों पर लाठी-गोली चलाए।

किसान नेतोंओं ने कहा कि 26 जनवरी तक हमारे दिल्ली में डेरा डालने के दो महीने पूरे हो जाएंगे। हमने इस निर्णायक कदम के लिए गणतंत्र दिवस को चुना क्योंकि यह दिन हमारे देश में गण यानी बहुसंख्यक किसानों की सर्वोच्च सत्ता का प्रतीक है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital