बिहार में चुनाव से पहले बदल सकती है तस्वीर, कांग्रेस के संपर्क में चिराग पासवान !
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पटना ब्यूरो। बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनैतिक तस्वीर बदलने की संभावना बन रही है। कहा जा रहा है कि लोकजनशक्ति पार्टी का अब एनडीए से मोह भंग हो गया है। इसका अहम कारण जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी की जुगलबंदी है जिसके कारण लोक जनशक्ति पार्टी को हाशिये पर धकेला जा रहा है।
सूत्रों की माने तो बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओं को आशंका है कि उन्हें बीजेपी और जेडीयू कमतर आंक रहे हैं और उन्हें कम सीटें दी जाएँगी। इतना ही नहीं सूत्रों ने कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओं रामविलास पासवान और चिराग पासवान के लगातार आग्रह के बावजूद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बातचीत का वक़्त नहीं दे रहे हैं।
वहीँ यह भी कहा जा रहा है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बीजेपी और जेडीयू के सम्पर्क में आ चुके हैं और अब बीजेपी-जेडीयू लोकजनशक्ति पार्टी की जगह जीतनराम मांझी में ज़्यादा रूचि दिखा रहे हैं।
सूत्रों की माने तो लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान कांग्रेस के सम्पर्क में हैं। चिराग पासवान और कांग्रेस के बीच खिचड़ी पकने के दावे को कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा के उस बयान से और हवा मिली है जिसमे उन्होंने कहा कि चिराग पासवान और राम बिलास पासवान कांग्रेस के नजदीक रहे हैं। पासवान कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे और आरजेडी ने अपने कोटे से सांसद भी बनाया.आने वाले दिनों में चौंकाने वालय तस्वीर दिख सकती है।
वहीँ कहा जा रहा है कि जेडीयू और बीजेपी की तरफ से रेस्पॉन्स न मिलने के कारण लोकजनशक्ति पार्टी एनडीए छोड़कर अलग हो सकती है। यह अलग बात है कि वह महागठबंधन में शामिल होगी या नहीं, यह भविष्य की बात है।
दूसरी तरफ आरजेडी ने जीतन राम मांझी द्वारा दी गई कोर्डिनेशन कमेटी की डेडलाइन समाप्त होने के बाद कहा है कि हम जीतन राम मांझी का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन वे धमकी देना बंद करें।
वहीँ अभी हाल ही में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पार्टी के सलाहकार समिति के सदस्यों के साथ हुई बैठक में भी क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने का मुद्दा उठा था। खुद राहुल गांधी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि विपक्ष के सभी दलों को एकजुट किया जाए। वहीँ बैठक में शामिल अधिकतर नेताओं का कहना था कि महागठबंधन के स्वरूप को लेकर जल्द फैसला लिया जाए। इसे और लेट करना ठीक नहीं होगा।