नागरिकता कानून के खिलाफ खड़ा हुआ एक और राज्य, विधानसभा में प्रस्ताव लाएगा तेलंगाना
नई दिल्ली। नागरिकता कानून को लेकर भले ही सरकार इस पर अडिंग रहने की बात कर रही हो लेकिन देश के कई राज्यों के विरोध के बाद अब एक और राज्य नागरिकता कानून के खिलाफ खड़े होने की तैयारी कर रहा है।
नागरिकता कानून के खिलाफ अबतक केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पुडुचेरी ने अपनी विधानसभाओं में विरोध प्रस्ताव पास करके केंद्र से इस कानून को रद्द करने की मांग की है। वहीँ अब तेलंगाना देश का ऐसा छठवां राज्य है जहाँ नागरिकता कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाये जाने की तैयारियां चल रही हैं।
रविवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया। इसके अलावा बैठक के माध्यम से तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से इस कानून को खत्म करने की अपील की।
तेलंगाना कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार से धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अपील की गई। बैठक में सरकार ने कहा कि सभी धर्म के लोगों के साथ कानून के आधार पर समान व्यवहार करना चाहिए, जबकि मौजूदा कानून में ऐसा नहीं है।
नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग़ सहित देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला सोमवार को भी जारी है। इस कानून को लेकर सरकार साफ़ है कि वह इसे लागू करने से एक इंच भी पीछे नहीं उठेगी।
गृहमंत्री अमित शाह के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कल कहा था कि तमाम विरोध के बावजूद सरकार अपने फैसले लागू करने पर अडिंग है। रविवार को यूपी के चन्दौली से ऐलान किया कि नागरिकता संशोधन कानून पर उनकी सरकार कायम रहेगी। नागरिकता कानून को लेकर विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि यह कानून संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ है और लोगों को धर्म के आधार पर बांटने वाला है।