प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीमकोर्ट ने लिया स्वतःसंज्ञान, 20 नामी वकीलों ने लिखा था पत्र
नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों के मामले में आखिरकार देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीमकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार व सभी राज्यों को नोटिस जारी कर इस पर गुरुवार तक जवाब देने का आदेश दिया है।
प्रवासी मजदूरो के मामले में देश के नामी 20 वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सुप्रीमकोर्ट को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों के हालात से अवगत कराते हुए कहा था कि सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के पलायन के बारे में कोर्ट को विरोधाभासी और गलत जानकारी दी।
पत्र में कहा गया था कि मार्च में लाखों प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में सुप्रीम कोर्ट विफल रहा और अधिकारियों की कार्यवाहियों की निगरानी में कोर्ट विफल, जिसके परिणामस्वरूप मजदूरों को रोजगार और मजदूरी के बिना तंग आवास में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पत्र में प्रवासी मजदूरों की परेशानियों का मुद्दा उठाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने लिखा कि मजदूरों को अक्सर बिना उचित भोजन के अपना जीवन यापन करना पड़ा, जो कि कोरोना संक्रमण के दौरान सबसे अधिक जोखिम भरा कदम है। सरकार द्वारा नज़रअंदाज किये जाने से गरीब वर्गों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ। पत्र में मजदूरों और गरीबो के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की निगरानी में विफलता के लिए सुप्रीम कोर्ट की भी आलोचना की गई थी।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालो में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के अलावा आनंद ग्रोवर, इंदिरा जयसिंह, मोहन कातार्की, सिद्धार्थ लूथरा, संतोष पॉल, कपिल सिब्बल, चंदर उदय सिंह, विकास सिंह और प्रशांत भूषण आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि देश में कोरोना संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा अचानक किये गए लॉक डाउन के एलान से लाखो प्रवासी मजद्रूर अपने घरो से दूर दूसरे राज्यों में फंस गए हैं। प्रवासी मजदूरों को उनके घरो तक पहुंचाने पर केंद्र सरकार द्वारा फैसला लेने में हुई देरी के कारण हज़ारो मजदूर पैदल ही अपने घरो के लिए सड़को पर निकल पड़े हैं।