अयोध्या मामले में फैसले के खिलाफ दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाएं ख़ारिज
नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसले के खिलाफ दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है। पुनर्विचार याचिकाओं पर पांच जजों की बैंच ने बंद कमरे में सुनवाई की और सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल थे।
संविधान पीठ के समक्ष चैंबर में सिर्फ उन पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर किया गया जो इस विवाद से संबंधित चार मुकदमों में पक्षकार थे। न्यायालय में दायर 18 पुनर्विचार याचिकाओं में से नौ याचिकायें मूल पक्षकारों ने दायर की थीं जबकि शेष याचिकाएं तीसरे पक्ष ने दायर की थीं।
संविधान पीठ ने उन याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया जो मूल वाद में पक्षकार नहीं थे। संविधान पीठ द्वारा इन पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार से इंकार किए जाने की वजह से इन याचिकाओं पर खुले न्यायालय में सुनवाई का अनुरोध भी खारिज हो गया।
इस मामले में सबसे पहले 2 दिसंबर को पहली पुनर्विचार याचिका मूल वादी एम सिदि्दकी के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने दायर की थी। इसके बाद, 6 दिसंबर को मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान, हाजी महबूब और मिसबाहुद्दीन की तरफ से याचिकाएं दायर की गईं। इन सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन प्राप्त है।
इसके बाद 9 दिसंबर को दो और पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। इनमें से एक याचिका अखिल भारत हिन्दू महासभा की थी। दूसरी याचिका 40 से अधिक लोगों ने संयुक्त रूप से दायर की थी। संयुक्त याचिका दायर करने वालों में इतिहासकार इरफान हबीब, अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रभात पटनायक, मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर, नंदिनी सुंदर और जॉन दयाल शामिल हैं।