दल बदल करने वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर लगे पाबंदी, सुप्रीमकोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया नोटिस
नई दिल्ली। चुने हुए जन प्रतिनिधियों के दल बदल करके उपचुनाव लड़ने के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है कि 10वीं सूची के तहत अयोग्य ठहराए गए विधायकों को सदन के कार्यकाल के दौरान उपचुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई जाए। यह याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर की तरफ से सुप्रीमकोर्ट में दायर की गई है।
गौरतलब है कि अभी हाल ही में कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायक विधानसभा से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और उपचुनाव में वे पुनः भारतीय जनता पार्टी के टिकिट पर चुनाव लड़े। विधायकों के इस्तीफे के कारण कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सरकार अल्पमत में आ गई थी।
याचिका में हाल ही में हुई सियासी घटनाओं का जिक्र किया है, जिसमें विधानसभा के सदस्य इस्तीफा दे देते हैं और सरकार गिर जाती है। जिसके बाद वे दोबारा विरोधी पार्टी की बनाई सरकार के साथ मंत्रियों के रूप में उभर कर आते हैं।
याचिका में कहा गया है कि यदि एक बार सदन का सदस्य 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य हो जाता है, तो उसे चुने गए कार्यकाल के दौरान फिर से चुनाव लड़ने नहीं दिया जा सकता। अनुसूची में साफ है कि सांसद या विधायक बनने की अयोग्यता निश्चित सदन के पूरे 5 वर्षों के कार्यकाल तक जारी रहती है।
याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसएस बोबडे की अध्यक्षता वाली बैंच ने सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और नोटिस पर चार हफ्तों में जबाव तलब किया है।