लाइव: सुप्रीमकोर्ट ने प्रशांत भूषण को पुनर्विचार के लिए दो दिन की मोहलत दी
नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट की अवमानना मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने अब वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अपने बयान पर पुनर्विचार करने के लिए दो दिन की मोहलत दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपमानजनक ट्विट के लिये क्षमा याचना से इंकार करने वाले उनके ‘विद्रोही बयान’ पर दोबारा गौर करने के लिए भूषण को हम दो-तीन दिन का वक्त दे रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने कहा कि वह दो-तीन दिन में अपने वकीलों से परामर्श लेंगे और सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर विचार करेंगे। भूषण ने कहा कि मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने का प्रयास थे। अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता। मैं कोई भी सजा स्वीकार करने को तैयार हूँ।
इससे पहले आज प्रशांत भूषण ने कोर्ट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा- ‘मैं दया नहीं मांग रहा। मैं उदारता की अपील नहीं करता. अदालत जो भी सजा देगी वह मुझे खुशी-खुशी स्वीकार्य है।
भूषण ने कहा कि मेरा मानना है कि संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए किसी भी लोकतंत्र में खुली आलोचना आवश्यक है। संवैधानिक व्यवस्था को बचाना व्यक्तिगत या व्यावसायिक हितों के बारे में आना चाहिए. मेरे ट्वीट मेरे सर्वोच्च कर्तव्यों में एक छोटा सा प्रयास थे।
प्रशांत भूषण ने दलील दी कि हाईकोर्ट से अवमानना का दोषी आगे भी अपील कर सकता है, लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई विकल्प नहीं बचता इसलिए, विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि इंसाफ मिल पाए. भूषण ने 30 दिन में अपील करने की बात कही है।
भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मैं इस बात से आहत और स्तब्ध हूं कि न्यायालय ने मुझे वह शिकायत नहीं दी, जिसके आधार पर अवमानना की कार्रवाई की गई थी। मैं इस बात से निराश हूं कि कोर्ट ने मेरे जवाब को हलफनामा नहीं माना।
अदालत में भूषण ने कहा कि मुझे इस फैसले पर दुख है कि कोर्ट ने मुझे दोषी माना. मुझे दुख है कि मुझे गलत समझा गया। मैं हैरान हूं कि अदालत ने मेरे उद्देश्यों के बारे में कोई सबूत दिए बिना निष्कर्ष पर पहुंच गई।