सुप्रीमकोर्ट ने सुदर्शन टीवी का प्रोग्राम देखने से किया इंकार, कार्रवाही को लेकर केंद्र से पूछा सवाल

सुप्रीमकोर्ट ने सुदर्शन टीवी का प्रोग्राम देखने से किया इंकार, कार्रवाही को लेकर केंद्र से पूछा सवाल

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सुदर्शन टीवी के उस विवादित कार्यक्रम “यूपीएससी जिहाद” को देखने से इंकार कर दिया है जिसमे दावा किया गया है कि ‘प्रशासनिक सेवा में मुस्लिमों की घुसपैठ की साजिश’ रची गई है।

देश की सर्वोच्च अदालत ने इस विवादित कार्यक्रम को देखने से इंकार करते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया है कि क्या वह इस मामले में कानून के आधार पर हस्तक्षेप कर सकती है।

इतना ही नहीं कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्या सरकार ने 4 एपिसोड के टेलीकास्ट की इजाजत देने के बाद प्रोग्राम पर नजर रखी? इंग्लैंड में प्रसारण योजना का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, वहां पर पूर्व प्रसारण की योजना नहीं है, लेकिन भारत में हमारे पास अन्य क्षेत्राधिकार हैं। हमारे पास पूर्व-प्रकाशन प्रतिबंध के लिए शक्ति है यदि सरकार इसे लागू नहीं करती है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि आज कोई ऐसा कार्यक्रम है जो आपत्तिजनक नहीं है? कानून के अनुसार सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है? रोजाना लोगों की आलोचना होती है, निंदा होती है और लोगों की छवि खराब की जाती है?

गौरतलब है कि 15 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक चैनल द्वारा ‘बिंदास बोल’ के एपिसोड का प्रसारण करने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीमकोर्ट का मानना है कि प्रथमदृष्टया कार्यक्रम के प्रसारण का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को ‘बदनाम’ करना है।

वहीँ सुदर्शन टीवी की तरफ से संपादक सुरेश चव्हाणके की तरफ से कोर्ट को दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि ‘यूपीएससी जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल किया है क्योंकि विभिन्न स्रोतों से जानकारी मिली कि जकात फांउडेशन को आतंकवाद से संबंध रखने वाले विभिन्न संगठनों से धन मिला।’

हलफनामे में कहा गया है कि उनका कार्यक्रम वर्तमान मामला जनता के विषय में सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक है, क्योंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा संरक्षित प्रेस की स्वतंत्रता का प्रश्न इसमें शामिल है।

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TeamDigital