दो बच्चों के नियम वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीमकोर्ट का इंकार
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीमकोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चो का नियम लागू करने के लिए कदम उठाने की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण सरकार के विचार करने का विषय है इस पर कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता। सुप्रीमकोर्ट ने ये टिप्पणी भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय व तीन अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर की।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एएस ओका की पीठ ने कहा कि जनसंख्या कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे एक दिन में रोक दिया जाए। ये एक सामाजिक मुद्दा है और भी कई मुद्दे इससे जुड़े हैं। ये सरकार के देखने का विषय है। सरकार इसका परीक्षण कर सकती है। कोर्ट आदेश नहीं दे सकता।
पीठ ने सवाल किया, ‘क्या यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमें हस्तक्षेप करना चाहिए?’। पीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि आगे कहा कि हमारे पास और भी कई अन्य महत्वपूर्ण काम हैं। कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय ने अपनी याचिका वापस ले ली।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए जो कर सकती है कर रही है। सरकार ने अपने हलफनामे में ये सब बातें कही हैं।
गौरतलब है कि पहले ये याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया था। याचिका को ख़ारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह कानून बनाना किसी सांसद और राज्य के विधानसभा का है न कि अदालत का।
इस याचिका को उच्च न्यायालय से खारिज किए जाने के बाद 3 सितंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इस पर शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी, 2020 को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था।