किसानो के समर्थन में आये सुप्रीमकोर्ट के वकीलों ने की खटटर के बयान की निंदा
नई दिल्ली। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानो को अब सुप्रीमकोर्ट के वकीलों का साथ मिला है। किसानो की मांगी के समर्थन में आज दिल्ली में सुप्रीमकोर्ट के वकील जमा हुए और उन्होंने किसानो के प्रति अपना समर्थन जताया।
इतना ही नहीं वकीलों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर के उस बयान की भी निंदा की जिसमे उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानो को आतंकवादी और खालिस्तानी कहा था।
सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ वकील एच.एस. फुलका ने कहा कि “सुप्रीमकोर्ट के वकील किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। “राइट टू प्रोटेस्ट” हर नागरिक का हक़ है, किसानों को ये मिलना चाहिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बहुत ही बेहूदा बयान आए हैं। इनको उग्रवादी, खालिस्तानी कहा गया, इसकी हम कड़ी निंदा करते हैं।”
वहीँ इससे पहले आज सिंधु बॉर्डर पर हुई किसानो की बैठक में किसान नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया। किसान नेता हरमीत सिंह कादियां ने बताया कि “हमने फैसला लिया कि सभी बॉर्डर और रोड ऐसे ही ब्लॉक रहेंगे। गृह मंत्री ने शर्त रखी थी कि अगर हम मैदान में धरना देते हैं तो वो तुरंत मीटिंग के लिए बुला लेंगे। हमने शर्त खारिज़ कर दी है। अगर वो बिना शर्त के मीटिंग के लिए बुलाएंगे तो ही हम जाएंगे।”
किसानो पर वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने की पुलिस की कार्रवाही को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर ने सफाई दी है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “कल को अगर कोरोना की वजह से लोगों पर प्रभाव पड़ा तो इसकी ज़िम्मेदारी पंजाब सरकार की होगी। पानी की बौछार मारने और आंसू गैस छोड़ने को मैं फोर्स नहीं मानता हूं, ये लोगों को रोकने के लिए अवरोधक के रूप में काम आते हैं।”
दूसरी तरफ दिल्ली के बुराड़ी पहुंच चुके किसानो का निरंकारी संत समागम ग्राउंड में विरोध प्रदर्शन जारी है। यहाँ हज़ारो की संख्या में किसान मौजूद हैं और अभी भी किसानो का आना जारी है। सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर भी हज़ारो की संख्या में किसान मौजूद हैं और इन किसानो ने बुराड़ी पहुँचने से इंकार कर दिया है।