सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष के पास बचा है ये विकल्प
नई दिल्ली। अयोध्या में विवादित ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीमकोर्ट के आज आये फैसले के बाद अब मुस्लिम पक्ष के पास एक और ऑप्शन बाकी है। मुस्लिम पक्ष सुप्रीमकोर्ट के फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हमें न बराबरी मिली और न ही न्याय. फैसले पर असहमति जताना हमारा अधिकार है।
जिलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी कभी-कभी गलत हो सकता है। कोर्ट ने पहले भी अपने फैसलों पर पुनर्विचार किया है, अगर हमारी वर्किंग कमिटी फैसला लेती है तो हम भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।
वहीँ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने कहा कि ‘इसके बदले हमे सौ एकड़ ज़मीन भी दें तो कोई फायदा नहीं। उन्होंने कहा कि हमारी 67 एकड़ ज़मीन पहले ही अधिग्रहित करने के बाद 5 एकड़ ज़मींन दे रहे हैं। ये कहाँ का इन्साफ है।
कैसे होती है पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई:
कानून के जानकारों के मुताबिक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए या नहीं या कोर्ट तय करता है। यदि कोर्ट पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करता है तो पुनर्विचार याचिका पर वही पीठ सुनवाई करती है जिसने फैसला दिया है। ऐसे में यदि मुस्लिम पक्ष 17 नवंबर के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करता है तो तब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सेवा अवकाश ले चुके होंगे।
ऐसे में अयोध्या मामले में सुनवाई करने वाली पीठ में शामिल अन्य न्यायाधीश आपस में बैठक कर यह तय कर सकते हैं कि सेवा अवकाश लेने के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के स्थान पर किस नए न्यायाधीश को पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई में शामिल किया जाए।
जानकारों के मुताबिक पुनर्विचार याचिका पर ओपन कोर्ट में सुनवाई नहीं होती बल्कि चैंबर में सुनवाई होती है लेकिन यदि याचिका करने वाला पक्ष ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग रखता है तो इसपर ओपन कोर्ट में भी सुनवाई हो सकती है।
इससे पहले आज अयोध्या में विवादित भूमि के मालिकाना हक़ को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को दी जाये। 2.77 एकड़ ज़मीन हिन्दुओं के पक्ष में रहेगी।
वहीँ मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ ज़मीन अलग से दी जाएगी। कोर्ट के फैसले के मुताबिक केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में ही मस्जिद के लिए सुटेबल और प्रॉमिनेंट जगह पर जमीन दे। अधिग्रहीत जमीन फिलहाल रिसीवर के पास रहेगी।
सुप्रीमकोर्ट कोर्ट के फैसले के मुताबिक राम मंदिर के लिए केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाएगी। ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा का प्रतिनिधि भी रहेगा।