खोजी पत्रकारिता के नाम पर किसी समुदाय को निशाना नहीं बनाया जा सकता: SC
नई दिल्ली। सुदर्शन टीवी के विवादित कार्यक्रम के मामले में आगे की सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने आज कहा कि मीडिया को इस बात का संदेश जरूर जाना चाहिए कि खोजी पत्रकारिता के नाम पर किसी समुदाय विशेष को निशाना नहीं बनाया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि देश ऐसे विभाजनकारी एजेंडे के साथ नहीं रह सकता है। आखिरकार हम एक देश में रहते हैं। हमें किसी समुदाय के खिलाफ नहीं होना चाहिए। हम सेंसरशिप नहीं करना चाहते। हम सेंसर बोर्ड नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा कि प्रसारण पूर्व कार्यक्रम पर रोक न्यूक्लियर मिसाइल की तरह है। प्रसारण पूर्व रोक लगाना चरम कदम है क्योंकि यह फिसलने वाले ढलान के समान है। हम ऐसा कदम विशेष परिस्थितियों में ही उठाते हैं, मसलन लैंगिक या यौन हिंसा आदि मामलों में।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा, चैनल इस बात पर बहस करने के लिए स्वतंत्र है कि जकात फाउंडेशन या किसी अन्य संगठन को कहां से फंडिंग हो रही है लेकिन मुस्लिमों को हरी टी-शर्ट, टोपी, दाढ़ी में दिखाया जाना और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बयान के पीछे कानून को जलते दिखाया जाना गलत है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुदर्शन टीवी पर यूपीएससी और मुस्लिमों पर आधारित कार्यक्रम पर रोक लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट परमाणु मिसाइल जैसी चीज पर रोक लगा रहा है।
कोर्ट ने इस मामले में सूचना प्रसारण मंत्रालय और नेशनल ब्रॉडकास्ट एजेंसी पर टिप्पणी करने के साथ ही इलेक्ट्रानिक मीडिया के ‘आत्म-अनुशासन’ पर भी राय मांगी है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े मुद्दों पर बड़े स्तर पर विचार किया जा रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से सुझाव मांगते हुए कहा, ‘आत्म-अनुशासन लाने के लिए ये एक अच्छा मौका है।’