मुस्लिम छात्राओं से भेदभाव पर कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने उठाई आवाज़
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश के इंदौर के एक कॉलेज में परीक्षा देने पहुंची मुस्लिम छात्राओं के साथ भेदभाव किये जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने इस भेदभाव की निंदा करते हुए आवाज़ उठाई है।
मध्यप्रदेश लोकतान्त्रिक अधिकार मंच, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, मध्यप्रदेश विज्ञान सभा, राष्ट्रीय सेक्युलर मंच, जनवादी लेखक संघ , प्रगतिशील लेखक संघ, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, NFIW और मध्यप्रदेश लोक सहभागी साझा मंच ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि ‘समाचारों से पता चला है कि इंदौर शहर में कक्षा 12 की परीक्षा के दौरान एक स्कूल के मुस्लिम छात्रों के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव किया गया। वहां का बंगाली स्कूल इस्लामिया करीमिया विद्यालय की छात्राओं का भी परीक्षा केंद्र था। केंद्र पर पहुंची मुस्लिम छात्राओं को उनके नियत स्थान पर नहीं बैठने दिया गया। परीक्षा केंद्र प्रबंधकों ने उन्हें खुले बरामदे में बैठ कर परीक्षा देने को विवश किया।’
बयान में कहा गया है कि कोरोना महामारी के इस दौर में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से लगातार कुप्रचार किया जाता रहा है। महामारी के संक्रमण को आर्थिक बदहाली, सुविधाओं और सूचनाओं की कमी की बजाय समुदाय विशेष के मत्थे थोपने की करतूतें लगातार सामने आती रही हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने कहा कि विडम्बना है कि कुछ स्थानों पर सरकारी महकमे भी ऐसे प्रयासों से न केवल प्रभावित हैं बल्कि उन्हें बढ़ावा भी दे रहे हैं। लॉक डाउन के दौरान मुसलमान विक्रेताओं के साथ अभद्र व्यवहार, मार-पीट और बहिष्करण की घटनाएं भी देखने को मिली हैं। जबकि दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई समूहों और व्यक्तियों द्वारा सभी जाति और धर्म के गरीबों और प्रवासी मज़दूरों को भोजन और अन्य ज़रूरत की सामग्री बांटी गयी हैं, साथ ही Covid 19 से ठीक हुए कई लोगों ने प्लाज़्मा डोनेट कर के कई लोगों की जान भी बचाई है।
संगठनों ने कहा कि परीक्षा केंद्र प्रबंधकों की यह सफाई कि रेड ज़ोन इलाके से होने के कारण मुस्लिम छात्राओं को अलग से बैठाया गया, सच महसूस नहीं होती। समाचारों के मुताबिक रेड ज़ोन से आने वाले इतर धर्मों के परीक्षार्थियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया गया। संप्रदाय विशेष के नागरिकों के प्रति ऐसा व्यवहार संविधान के मूल्यों के विपरीत और अलोकतांत्रिक है। महामारी से मुकाबले के लिए हमारे जैसे विविधवर्णी देश में सामाजिक एकजुटता बहुत जरूरी है।
इंदौर के कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं से भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए बयान में कहा कि इंदौर की उपरोक्त घटना अस्वीकार्य है। हम विविध सामाजिक, सांस्कृतिक आंदोलनों, संगठनों, संस्थाओं और समूहों के लोग सांप्रदायिक आधार पर भेदभाव की इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे निर्णय लेने वाले दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो यह निश्चित किया जाए। साथ ही हमारी मांग है कि बच्चों की सहुलियत अनुसार परीक्षा केंद्र सुनिश्चित किया जाए, इस केंद्र पर कार्यवाही हो साथ ही बंगाली स्कूल को भविष्य में परीक्षा केंद्र न बनाया जाए।