‘मित्रो पेट्रोल-डीजल सस्ता चाहिए कि नहीं’ कहने वाले लोगों के मुंह पर आज ताला लगा है: शिवसेना

‘मित्रो पेट्रोल-डीजल सस्ता चाहिए कि नहीं’ कहने वाले लोगों के मुंह पर आज ताला लगा है: शिवसेना

मुंबई। देश में लगातार बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर शिवसेना ने मोदी सरकार और बीजेपी पर सीधा हमला बोला है। इतना ही नहीं शिवसेना ने पीएम मोदी को उनके चुनावी भाषण का वह लाइन भी याद दिलाई है जिसमे उन्होंने कहा था कि मित्रो पेट्रोल-डीजल सस्ता चाहिए कि नहीं चाहिए।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में ईंधन की ‘हवा-हवाई शीर्षक से लिखे गए संपादकीय में पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

संपादकीय में कहा गया है कि हवाई जहाज के ईधन से भी ज्यादा दुपहिया और चार पहिया वाहनों के ईधन महंगे हो गए हैं। एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) मतलब हवाई सफर के लिए लगनेवाले हवाई ईंधन की दरों को पछाड़ते हुए बाइक और कार के ईंधनों की दर ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। हवाई परिवहन के ईंधन की दर एक लीटर के लिए 79 रुपए है और सड़क परिवहन के वाहनों के ईंधन की दर 105 से 115 से अधिक हो गई है। दुपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए लगनेवाले पेट्रोल-डीजल की दर हवाई ईंधन से थोड़ी-बहुत नहीं, बल्कि ३० फीसदी महंगी हो गई है।

इतना ही नहीं शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि कांग्रेस के शासन में पेट्रोल-डीजल की दर वृद्धि को लेकर देशभर में आंदोलन करके गला फाड़ने और शोर मचानेवाले लोग आज सत्ता में हैं। लेकिन उनके होंठ आज सिल गए हैं। गली से दिल्ली तक पेट्रोल दर वृद्धि के खिलाफ रणक्रंदन करनेवाली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की टोली आज मुंह पर ताला लगाए चुप बैठी है। पेट्रोल-डीजल की दर वृद्धि के खिलाफ कोई भी एक शब्द बोलने को तैयार नहीं है।

संपादकीय में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार पर हमला जारी रखते हुए कहा गया कि देशभर में महंगाई का दावानल भड़का हुआ है। लेकिन फिर भी उस समय के आंदोलनकर्ता आज किस बिल में छिपकर बैठे हैं, यह पता चलने का रास्ता नहीं है।

संपादकीय में यूपीए शासनकाल में पीएम मनमोहन सिंह की तारीफ़ करते हुए कहा गया है कि यूपीए सरकार के दौर में डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें १२० डॉलर प्रति बैरल मतलब वर्तमान दरों से दोगुनी महंगी थी। फिर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें सौ के पार कभी नहीं पहुंची थीं। कठिन परिस्थितियों में भी र्इंधन की दरों को नियंत्रण में रखनेवाले मनमोहन सिंह पर जी भरकर कीचड़ उछालनेवाले लोग आज सत्ता में हैं।

संपादकीय में कहा गया है कि यूपीए के शासन की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें वर्तमान शासकों के दौर की करीब आधी ही हैं। फिर भी पेट्रोल-डीजल आदि ईंधनों की दर कम होने की बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इन सवालों का सही उत्तर केंद्र सरकार के प्रवक्ता कभी भी नहीं देते हैं। ईंधनों की दरों में बढ़ोत्तरी के लिए कभी तेल ऋण पत्रों का बहाना बनाते हैं, तो कभी राज्य सरकार के करों की ओर उंगली दिखाकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास दिल्ली द्वारा किया जाता है। परंतु केंद्रीय सरकार की असीमित करों की चटक और तिजोरी भरने की हवस में ही पेट्रोल-डीजल की दर वृद्धि का गूढ़ छिपा है। अब तो विमान के ईंधन से भी ज्यादा दुपहिया वाहनों के ईंधन महंगे हो गए हैं।

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TeamDigital